लेखक:
ममता कालिया
जन्म : 2 नवम्बर, 1940 को वृन्दावन में हुआ।
शिक्षा : नागपुर, मुंबई, पुणे, इन्दौर और दिल्ली के विद्यालयों व विश्वविद्यालयों में हुई। आपने अंग्रेजी साहित्य से एम.ए. किया। गतिविधियाँ : ममता कालिया सन् 1960 से निरन्तर लिख रही हैं। कविता, कहानी, उपन्यास और नाटक के अलावा इन्होंने समकालीन समाज में महिलाओं की स्थिति पर लेख, स्तम्भ आदि भी विपुल मात्रा में लिखे हैं। ममता कालिया की कहानियाँ व उपन्यास देश और विदेशों के कई विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में सम्मिलित हैं। वे अंग्रेजी में भी कविता लिखती हैं। नारी मनोविज्ञान, सामाजिक विसंगतियों का बोध और उनसे उबरने की बेचैनी इनके लेखन की पहचान है। प्रकाशित कृतियाँ : छुटकारा, सीट नम्बर प्रतिदिन, बोलने वाली औरत, चर्चित कहानियाँ। उपन्यास : बेघर, नरक दर नरक, एक पत्नी के नोट्स। पुरस्कार : हिन्दी साहित्य परिषद्, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान तथा रमणिका फाउण्डेशन द्वारा पुरस्कृत। |
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प्रतिनिधि कहानियाँ: ममता कालियाममता कलिया
मूल्य: $ 1.95 हिन्दी की सुपरिचित लेखिका ममता कालिया की कहानियों के इस संग्रह में शिक्षित मध्यवर्गीय नारी की आशाओं, आकांक्षाओं, संघर्षों और स्वप्नों का यथार्थपरक अंकन हुआ है। आगे... |
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बेघरममता कालिया
मूल्य: $ 12.95 ममता कालिया का एक समकालीन उपन्यास आगे... |
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बोलनेवाली औरतममता कालिया
मूल्य: $ 12.95
ममता कलिया ने इन कहानियों को महिलावादी क्रोधी भंगिमा से नहीं रचा है, न ही इनमें औरतों के प्रति अबोध आकुलता है। आगे... |
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भविष्य का स्त्री विमर्शममता कालिया
मूल्य: $ 13.95 |
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ममता कालिया की कहानियाँममता कालिया
मूल्य: $ 27.95
इसमें ममता कालिया की कहानियाँ खण्डों में प्रकाशित की गयी हैं... आगे... |
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ममता कालिया की कहानियाँ - भाग 1ममता कालिया
मूल्य: $ 25.95
इसमें ममता कालिया की कहानियों को खण्डों के रूप में प्रस्तुत किया गया है... आगे... |
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मुखौटाममता कालिया
मूल्य: $ 8.95 प्रस्तुत शीर्षक में छात्र वर्ग में आरक्षण जैसे मुद्दे का यथार्थ वर्णन किया गया है..... आगे... |
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विश्व की श्रेष्ठ कहानियाँ (खंड 1-2 )ममता कालिया
मूल्य: $ 29.95 इस संकलन में 14 देशों के कुल 43 कहानीकारों की कहानियाँ संकलित हैं जो अपने समय, समाज और रचना कौशल की प्रतिनिधि रचनाएँ मानी गई हैं आगे... |
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सपनों की होम डिलीवरीममता कालिया
मूल्य: $ 12.95 |
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सीट नम्बर 6ममता कालिया
मूल्य: $ 9.95 इन कहानियों को मह़ज स्त्री लेखन के कोष्ठक में सीमित नहीं किया जा सकता आगे... |