विभिन्न रामायण एवं गीता >> श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 1 श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 1महर्षि वेदव्यास
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भगवद्गीता की पृष्ठभूमि
पुरुषोत्तमयोग - नामक पंद्रहवाँ अध्याय
1-6 संसारवृक्ष का कथन और भगवत्पाप्ति का उपाय।
7-11 जीवात्मा का विषय।
12-15 प्रभावसहित परमेश्वर के स्वरूप का विषय।
16-20 क्षर, अक्षर, पुरुषोत्तम का विषय।
दैवासुरसम्पद्विभागयोग - नामक सोलहवाँ अध्याय
1-5 फलसहित दैवी और आसुरी सम्पदा का कथन।
6-20 आसुरी सम्पदा वालों के लक्षण और उनकी अधोगति का कथन।
21-24 शास्त्रविपरीत आचरणों को त्यागने और शास्त्रानुकूल आचरणों के लिये
प्रेरणा।
श्रद्धात्रयविभागयोग - नामक सत्रहवाँ अध्याय
1-6 श्रद्धा का और शास्त्रविपरीत घोर तप करनेवालों का विषय।
7-22 आहार, यज्ञ, तप और दान के पृथक-पृथक भेद।
23-28 ॐतत्सत् के प्रयोग की व्याख्या।
मोक्षसंन्यासयोग - नामक अठारहवाँ अध्याय
1-12 त्याग का विषय।
13-18 कर्मों के होने में सांख्यसिद्धान्त का कथन।
19-40 तीनों गुणों के अनुसार ज्ञान, कर्म, कर्ता, बुद्धि, धृति और सुख के
पृथक-पृथक भेद।
41-48 फलसहित वर्णधर्म का विषय।
49-55 ज्ञाननिष्ठा का विषय।
56-66 भक्तिसहित कर्मयोग का विषय।
67-78 श्रीगीताजी का माहात्म्य।
।। हरि ॐ तत्सत्।।
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