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भारतीय जीवन और दर्शन >> अभिज्ञानशाकुन्तलम्-कालिदास विरचित

अभिज्ञानशाकुन्तलम्-कालिदास विरचित

सुबोधचन्द्र पंत

प्रकाशक : मोतीलाल बनारसीदास पब्लिशर्स प्रकाशित वर्ष : 2004
पृष्ठ :141
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 11183
आईएसबीएन :8120821548

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वररुचि

कालिदास की भांति ही वररुचि भी अन्यतम काव्यकर्ताओं में गिने जाते हैं। 'सदुक्तिकर्णामृत',  'सुभाषितावलि' तथा 'शार्ङ्धर संहिता' इनकी रचनाओं में गिनी जाती हैं।
इनके नाम पर मतभेद है। क्योंकि इस नाम के तीन व्यक्ति हुए हैं उनमें से-

1. पाणिनीय व्याकरण के वार्तिककार-वररुचि कात्यायन,
2. 'प्राकृत प्रकाश' के प्रणेता-वररुचि और
3. सूक्ति ग्रन्थों में प्राप्त कवि-वररुचि
यह संक्षेप में विक्रमादित्य के नवरत्नों का परिचय है।

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