भारतीय जीवन और दर्शन >> अभिज्ञानशाकुन्तलम्-कालिदास विरचित अभिज्ञानशाकुन्तलम्-कालिदास विरचितसुबोधचन्द्र पंत
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तीसरा प्रसंग है, शकुन्तला का दुष्यन्त की सभा में उपस्थित होना और
दुष्यन्त को उसको पहचानने से इनकार करना। चौथा प्रसंग है उस समय का, जब
मछुआरे को प्राप्त दुष्यन्त के नाम वाली अंगूठी उसको दिखाई जाती है और
पांचवां प्रसंग मारीचि महर्षि के आश्रम में दुष्यन्त-शकुन्तला के
मिलन का।
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