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भारतीय जीवन और दर्शन >> अभिज्ञानशाकुन्तलम्-कालिदास विरचित

अभिज्ञानशाकुन्तलम्-कालिदास विरचित

सुबोधचन्द्र पंत

प्रकाशक : मोतीलाल बनारसीदास पब्लिशर्स प्रकाशित वर्ष : 2004
पृष्ठ :141
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 11183
आईएसबीएन :8120821548

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[कान लगाकर सुनते हुए]

यह वेग से दौड़ता हुआ हरिण राजा दुष्यन्त को यहां खींच लाया है।

[दोनों का मंच से प्रस्थान]
(प्रस्तावना समाप्त)

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