भारतीय जीवन और दर्शन >> अभिज्ञानशाकुन्तलम्-कालिदास विरचित अभिज्ञानशाकुन्तलम्-कालिदास विरचितसुबोधचन्द्र पंत
|
0 |
[कान लगाकर सुनते हुए]
यह वेग से दौड़ता हुआ हरिण राजा दुष्यन्त को यहां खींच लाया है।
[दोनों का मंच से प्रस्थान]
(प्रस्तावना समाप्त)
|
लोगों की राय
No reviews for this book