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वंशज

मृदुला गर्ग

प्रकाशक : पेंग्इन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2019
पृष्ठ :156
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 12542
आईएसबीएन :9789353490461

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हुक्म देकर वे तो स्टडी में चले गए पर बात की बात में खबर कोठी में फैल गई। माली ने खानसामा को बतलाया, खानसामा ने गोविन्द बैरे को और गोविन्द ने रेवा की आया को। आया के मंह से बाकी नौकरों-चाकरों को सूचना मिल गई। वह रेवा का हाथ थामे वहीं जा पहंची। सोचा, तोड़ते वक्त दो-चार गुच्छे लेगी। कब से पीला गजरा पहनने को मन ललचा रहा था।

रेवा ने सुना तो अलग मचल उठी। भागती हई स्टडी में जा पहंची और रूठे स्वर में बोली, "डैडी, आप सब-के-सब फूल कलेक्टर साहब के बंगले पर क्यों भिजवा रहे हैं? हमारी टीचर रोज मांगती है।"

शुक्ला साहब ने हंसकर उसे गोदी में बिठा लिया, बोले, "माली से कहे देते हैं, कुछ उनके यहां भी दे आएगा।"
"और सुधीर भैया की इंगलिश मैडम भी मांगती रहती हैं," रेवा ने मौका देखकर सिफारिश कर दी।

"उन्हें भी दे आएगा," शुक्ला साहब ने उदार होकर कहा।
माली के आने पर ताकीद कर दी कि तीनों जगह बराबरी से फल पहुंचा दे।

. "हैप्पी ?" उन्होंने रेवा से पूछा।
"हां, डैडी, हां," उन्होंने चिहुंककर कहा।
"सुधीर से कह देना, उसकी मैडम को फूल मिल जाएंगे,' उन्होंने कहा और सोच लिया कि रेवा की तरह वह भी सुनकर खुश हो जाएगा।

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