लोगों की राय

जीवन कथाएँ >> मेरी भव बाधा हरो

मेरी भव बाधा हरो

रांगेय राघव

प्रकाशक : राजपाल एंड सन्स प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :136
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 1470
आईएसबीएन :9788170285243

Like this Hindi book 3 पाठकों को प्रिय

147 पाठक हैं

कवि बिहारीलाल के जीवन पर आधारित रोचक उपन्यास...


फिर हंसे और अपने आप बोले, "मैंने काव्य का फिर उद्धार किया है प्रवीण ! आज नहीं तो कल लोग देखेंगे कि लोक केशव के काव्यत्व को पहचानेगा। मैंने काव्य लिखा है, तुलसीदास ने पुराण लिखा है पुराण!"
फिर जैसे उन्हें याद आया। बोले, "बिहारी! तुम्हें बहुत कुछ जानना होगा। प्रवीण!"

"आचार्य!" उसने विनम्र स्वर से कहा।

"भरतमुनि, मम्मट, कुन्तक, आनन्दवर्धन, सब पढ़ा दो बिहारी को। महान् काव्यों की परम्परा सिखाओ। बिहारी को ऐसा बनाओ कि वह मेरी परम्परा को आगे बढ़ा सके सके। शुद्ध काव्य की रचना तक कर सके, अन्यथा मर्मज्ञ तो हो ही जाए।"

बिहारी के नयनों में अपार उत्साह भर आया था। उसने उनके घुटने पकड़कर कहा, "इतना सब मैं कैसे सीख पाऊंगा गुरुदेव!"
"वत्स,"
वृद्ध ने कहा, "गागर में सागर भरना ही काव्य है।"
बिहारी नहीं समझा। वह अवाक् देखता रहा। किन्तु प्रवीणराय समझ गई थी।

केशवदास ने फिर कहा, “बहुत समय हो गया प्रवीणराय! राम ही सब के रक्षक हैं। वे ही जानें! क्या था यह देश! क्या हो गया।"

"फिर शाह अकबर दयालु हैं आचार्य! देश में अब शान्ति और समृद्धि है।"
आचार्य के नयनों में चमक नहीं आई। बोले, “यह दुख तुलसीदास को भी है प्रवीण! वह लोक के लिए ही लिखता है, वैसे पण्डित है। क्या मेरी 'रामचन्द्रिका' लोक के लिए नहीं है?"

प्रवीणराय ने कहा, “आचार्य! संगीत और काव्य लोक के लिए नहीं, मर्मज्ञों के लिए होते हैं। लोक गाता है, अपने गीत स्वयं रचता है। किन्तु उनका सूक्ष्म सौन्दर्य केवल रसज्ञ ही जान सकते हैं।"

"ठीक कहती हो, प्रवीण! ठीक कहती हो। प्राचीन आचार्यों ने भी यही कहा है। सब ही एक-से नहीं हो सकते। सौन्दर्य कौशल से जन्म लेता है। वह सब में नहीं आ सकता।"

'आचार्य! काव्य और संगीत मनुष्य की उस अवस्था के द्योतक हैं, जो साधारण के लिए नहीं हैं। साधारणीकरण में भी सब एक-से नहीं समझते।"   "तुम ठीक कहती हो प्रवीण।" आचार्य ने फिर कहा, “काव्य-शक्ति ही जब ईश्वर प्रदत्त है तो मेधा भी वैसी ही विरल होती है।"

बिहारी ने देखा, वृद्ध के मुख पर एक असीम गर्व की छाया उभर आई थी।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book