जीवनी/आत्मकथा >> सत्य के प्रयोग सत्य के प्रयोगमहात्मा गाँधी
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my experiment with truth का हिन्दी रूपान्तरण (अनुवादक - महाबीरप्रसाद पोद्दार)...
इसऔर ऐसी दूसरी दलीलो से मैंने मित्रो को कुछ शान्त तो किया पर मैं नहीं मानता कि एक ही वस्तु को भिन्न परिस्थिति में भिन्न रीति से देखने काऔचित्य मैं इस अवसर पर उन्हे संतोषजनक रीति से समझा सका था। पर मेरे जीवन में आग्रह और अनाग्रह हमेशा साथ-साथ ही चलते रहे है। सत्याग्रह में यहअनिवार्य हैं, इसका अनुभव मैंने बाद में कई बार किया हैं। इस समझौता-वृति के कारण मुझे कितनी ही बार अपने प्राणों को संकट में डालना पड़ा हैं औरमित्रो का असंतोष सहना पड़ा हैं। पर सत्य वज्र के समान कठिन हैं, और कमल के समान कोमल हैं।
वकील-सभा के विरोध ने दक्षिण अफ्रीका में मेरे लिए दूसरे विज्ञापन का काम किया। ज्यादातरक अखबारो ने मेरे प्रवेश केविरोध की निन्दा की और वकीलो पर ईर्ष्या का दोष लगाया। इस विज्ञापन से मेरा काम किसी हद तक सरल हो गया।
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