इतिहास और राजनीति >> ताजमहल मन्दिर भवन है ताजमहल मन्दिर भवन हैपुरुषोत्तम नागेश ओक
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पी एन ओक की शोघपूर्ण रचना जिसने इतिहास-जगत में तहलका मचा दिया...
ताज की रानी
शाहजहाँ की पत्नी ताजमहल के केन्द्रीय कक्ष में दफनाई गई बताई जाती है, उसके नाम के विषय में भी अनेक भ्रान्तियाँ हैं।
ऐसा भी सम्भव है कि मरणोपरान्त जब उसको ताजमहल नामक हिन्दू (राज)प्रासाद में दफनाया गया तो उसके आधार पर उसे 'मुमताज महल' नाम से विभूषित किया गया हो। जैसाकि सामान्यतया माना जाता है, यह भवन नहीं जिसका कि नाम महिला के नाम पर रखा गया है। यह इसके विपरीत है, अर्थात् उस महिला को भव्य भवन में दोबारा दफनाए जाने के बाद मरणोपरान्त उसे भवन के अनुरूप संज्ञा दी गई।
हमारा यह नित्कर्ष शाहजहाँ के अपने दरबारी इतिहास 'बादशाहनामा' पर आधारित है जो कहता है,* "१७ जी-ए-कदा १०४० को आलिया बेगम की ४० वर्ष की अवस्था में मृत्यु हुई। उसने उसको आठ पुत्र और छ: पुत्रियाँ दिए।"
* इलियट और डौसन का इतिहास, भाग ७, पृष्ठ २७
मौलवी मोइनुद्दीन अहमद लिखता है* कि उसका वास्तविक नाम अर्जुमन्दबानो बेगम था।
२. वही, द ताज एण्ड इट्स एनविरोनमेंट्स, पृष्ठ ३८
अब यह जानना संगत होगा कि वह तथाकथित 'ताज की रानी' कौन थी, शाहजहाँ के रनिवास में उसकी क्या स्थिति थी, कौन उसके पूर्वज थे और शाहजहाँ की दृष्टि में उसका कितना महत्त्व था?
अर्जुमन्दबानो जहाँगीर के प्रधानमंत्री और उसके श्वसुरों में से एक मिर्जा गियास बेग की पोती थी। यहां यह उल्लेख करना आवश्यक है कि मिर्जा गियास बेग फारस के दरबार में एक सामान्य बैरा था जो उस स्थिति से उठकर मुगल दरबार में प्रधानमंत्री इस कारण बन गया क्योंकि उसकी सुन्दर एवं प्रभावशाली पुत्री जहाँगीर की प्रेयसी बन गई थी। इस प्रकार उसकी पोती मुमताज़ उर्फ अर्जुमन्दबानो बेगम जन्म से ही सामान्य स्त्री थी।
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