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ताजमहल मन्दिर भवन है

पुरुषोत्तम नागेश ओक

प्रकाशक : हिन्दी साहित्य सदन प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :270
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 15322
आईएसबीएन :9788188388714

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पी एन ओक की शोघपूर्ण रचना जिसने इतिहास-जगत में तहलका मचा दिया...

ताजमहल के आयाम प्रासादिक हैं


ताजमहल के आयाम तथा विशेषताएँ प्रासादिक हैं। इसके असंख्य प्रवेश-द्वार नुकीली कीलों वाले हैं। सम्पूर्ण भवन परसिर में ३ से ४ सौ तक कक्ष, एक बहुमंजिला कूप तथा मनोरंजनार्थ मंडप हैं।

ताजमहल तक पहुंचनेवाले मार्ग के दोनों ओर लाल पत्थर के बने महराबदार बरामदे हैं जो सभी राजपूती हिन्दू राजकीय भवनों में विशेषतया होते हैं। ऐसे बहुत से महराबदार बरामदे ताजमहल के उद्यान तथा बाहरी प्रांगण को भी घेरते हैं। इनके मध्य सैकड़ों कक्ष बने हैं जिनमें प्रासाद के कर्मचारी तथा पशु आदि के रहने की व्यवस्था होती है। मुसलमानी कल्पित कथाओं में उन्हें जिलो-खाना यो मनोरंजन- कक्ष बताया जाता है। शाहजहाँ जैसा क्रूर और अहंकारी बादशाह जन-सामान्य के लिए विलास-कक्ष बनाने की कृपा करे और उस मकबरे के ऊपर नानाविध समारोह हों जिस पर स्वयं शाहजहाँ (जैसा कि हमें बताया गया है) १६३० से १६६६ तक दिन और रात निरन्तर फूट-फूटकर रोया हो। राजस्थान के सभी प्राचीन हिन्दू प्रासादों और नगरों के बाहर ऐसे भव्य प्रवेश द्वारा आज भी देखे जा सकते हैं।

प्रासाद के पीछे नदी के किनारे एक बढ़िया 'घाट' बना हुआ था। इसका एक भाग अभी भी विद्यमान है। ताजमहल के पिछले भाग में खुलनेवाले प्रवेश-द्वार (जो अब बन्द हैं) हिन्दू राज-परिवार के सदस्यों के स्नान और नौकाविहार के लिए बनाए गए थे।

ताजमहल भवन-परिसर के अनेक भवनों में एक नक्कारखाना भी है। इस नक्कारखाने का शिल्प राजपूती होने के साथ-साथ चित्तौड़, ग्वालियर और अजमेर में भी ऐसे नक्कारखाने होना लेखक के मत की पुष्टि का एक अन्य प्रमाण है। इस्लामी धार्मिक स्थानों में किसी भी प्रकार के संगीत की सख्त मनाही है और दूसरी तरह भी दिवंगत आत्माओं के विश्राम-स्थल को क्षुब्ध करने के लिए उनके समीप नक्कारखाना कभी भी नहीं बनाया जा सकता। किन्तु हिन्दू प्रासादों में नक्कारखाना अनिवार्यरूपेण बनाया जाता है। ढोल और शहनाई-वादन का आयोजन प्रात:काल, राजकीय आगमन और प्रस्थान, अतिथियों का स्वागत, समारोहों और शासकीय घोषणाओं एवं अध्यादेशों की सूचनार्थ करवाया जाता था।

हमने एन्साइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका को, यह कहने* के लिए पहले ही उद्धृत कर दिया है कि "परिसर के बाहर दक्षिण की ओर अनेक उप-भवन हैं जैसे अश्वशाला, बाहरी कक्ष तथा आरक्षक-निवास।
* एन्साइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका, भाग २१, पृष्ठ ७५८

टैवर्नियर ने भी कहा है* कि "तासी मकान (ताज-ए-मकान अर्थात् राजभवन) छ: बड़े-बड़े आँगनोंवाला, जो कि मेहराबों से छाये हैं और जिनके नीचे सौदागरों के बैठने के लिए कक्ष बने हैं, बहुत बड़ा बाजार है।" उन सभी भवनों के शिखरों पर विशाल छज्जे और गलियारे हैं। ताजमहल को देखने वाले यदि यह अनुभव करें कि यह प्रासाद है तो वे शीघ्रता में नकली कब्रों और भूतलीय कनों को देखकर ही सन्तुष्ट नहीं हो सकते। बरामदों, गलियारों और भूलभुलैयायुक्त भूगर्भ-कक्ष के भीतरी भागों में टहलते हुए जाना चाहेंगे। सरकारी पुरातत्त्व-अधिकारी, इतिहास के अध्यापक, छात्र और सामान्य यात्री को उचित निर्देश दिए जाने चाहिए जिससे कि वे ताजमहल का हिन्दू प्रासाद: के रूप में दर्शन एवं अध्ययन कर सकें। तभी वे उसकी वास्तविकता सुन्दरता और भव्यता को समझने में समर्थ हो सकेंगे।
* ट्रेवल्स इन इण्डिया, भाग १, पृष्ठ १०९-१११

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    अनुक्रम

  1. प्राक्कथन
  2. पूर्ववृत्त के पुनर्परीक्षण की आवश्यकता
  3. शाहजहाँ के बादशाहनामे को स्वीकारोक्ति
  4. टैवर्नियर का साक्ष्य
  5. औरंगजेब का पत्र तथा सद्य:सम्पन्न उत्खनन
  6. पीटर मुण्डी का साक्ष्य
  7. शाहजहाँ-सम्बन्धी गल्पों का ताजा उदाहरण
  8. एक अन्य भ्रान्त विवरण
  9. विश्व ज्ञान-कोश के उदाहरण
  10. बादशाहनामे का विवेचन
  11. ताजमहल की निर्माण-अवधि
  12. ताजमहल की लागत
  13. ताजमहल के आकार-प्रकार का निर्माता कौन?
  14. ताजमहल का निर्माण हिन्दू वास्तुशिल्प के अनुसार
  15. शाहजहाँ भावुकता-शून्य था
  16. शाहजहाँ का शासनकाल न स्वर्णिम न शान्तिमय
  17. बाबर ताजमहल में रहा था
  18. मध्ययुगीन मुस्लिम इतिहास का असत्य
  19. ताज की रानी
  20. प्राचीन हिन्दू ताजप्रासाद यथावत् विद्यमान
  21. ताजमहल के आयाम प्रासादिक हैं
  22. उत्कीर्ण शिला-लेख
  23. ताजमहल सम्भावित मन्दिर प्रासाद
  24. प्रख्यात मयूर-सिंहासन हिन्दू कलाकृति
  25. दन्तकथा की असंगतियाँ
  26. साक्ष्यों का संतुलन-पत्र
  27. आनुसंधानिक प्रक्रिया
  28. कुछ स्पष्टीकरण
  29. कुछ फोटोग्राफ

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