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ताजमहल मन्दिर भवन है

पुरुषोत्तम नागेश ओक

प्रकाशक : हिन्दी साहित्य सदन प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :270
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 15322
आईएसबीएन :9788188388714

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पी एन ओक की शोघपूर्ण रचना जिसने इतिहास-जगत में तहलका मचा दिया...


"दक्षिण-पश्चिमी कोनों पर बने कक्षों में आर-पार मार्ग है जबकि उत्तर- पूर्वी कोनों पर बने कक्षों के मार्ग के मध्य में अवरुद्ध कर दिए गए हैं। विभिन्न कक्षों को मिलानेवाला एक गलियारा है जिसकी शाखाएँ सीढ़ियों तक पहुंचाती हैं।

"३४ सीढ़ियाँ चलने पर हम सबसे ऊपर छत पर पहुँच जाते हैं। यहाँ कोनों पर चार बुर्ज बने हैं जिनमें प्रत्येक में आठ द्वार हैं। बुर्जियाँ छत्र धारण किए हुए हैं निजके शिखर पर कलश बने हैं।"

ऊपर के उद्धरण से 'अन्तिम वाक्य में "कलश' शब्द ध्यान देने योग्य है। मौलवी मोइनुद्दीन के ताज-सम्बन्धी विवरण में इस शब्द की अनेक बार पुनरावृत्ति हुई है। यह शब्द संस्कृत का है। यह ताज में कदापि नहीं लगाया जा सकता, विशेषतया मुसलमानी ताज में, जब तक कि ताज को मुसलमानों से पूर्व का न माना जाए। कलश शब्द सामान्यतया पीतल या स्वर्ण के चमकदार शिखर का द्योतक है कलश शब्द का बार-बार प्रयोग भी यह सिद्ध करता है कि यह स्मारक मुस्लिम- पूर्व का प्रासाद है। कलश शब्द केवल अत्युच्च एवं भव्य मन्दिरों, प्रासादों और ऐसे अन्य हिन्दू स्मारकों के सन्दर्भ में आता है।

गुम्बद के चारों ओर के चार बुर्ज भी विशुद्ध राजपूत आकार के ताजमहल के चारों कोनों पर चार मीनारों के जो कक्ष हैं वे भी पूर्णतया राजपूत शैली के हैं।

गुम्बद के बारे में क्या कहते हो? यह पूछा जा सकता है। यह धारणा कि गुम्बद मुस्लिम आविष्कार है, नितान्त निराधार है। गुम्बद को मुस्लिम-संरचना कहना किसी-न-किसी रूप में इसको पैगम्बर मोहम्मद के जन्म से जोड़ना है। गुम्बद का वास्तुकला के रूप में रेखांकन और इस्लाम का उद्भव इन दोनों में परस्पर भला क्या तारतम्य हो सकता है?

ताजमहल के विषय में हमने पहले ही बादशाह बाबर, शाहजहाँ के दरबारी इतिहास-बादशाहनामा तथा महान् अंग्रेज वास्तुकार हेवेल को यह सिद्ध करने के लिए उद्धृत किया है कि गुम्बद हिन्दू-निर्माणाकृति है।

वर्तमान केन्द्रीय इस्लामी पूजास्थल काबा स्वयं गुम्बद से ढका हुआ नहीं है।

केवल हिन्दुओं में ही आठ दिशाओं के लिए विशेष नाम प्रचलित हैं जैसे उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम और इनके मध्य की अन्य चार दिशाओं के नाम संस्कृत के आधार पर हैं-ईशाण, आग्नेय, नैऋत्य और वायव्य-जो कि ताजमहल की भाँति हिन्दू प्रासादों और मन्दिरों के अष्टकोणीय होने को इंगित करते हैं।

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    अनुक्रम

  1. प्राक्कथन
  2. पूर्ववृत्त के पुनर्परीक्षण की आवश्यकता
  3. शाहजहाँ के बादशाहनामे को स्वीकारोक्ति
  4. टैवर्नियर का साक्ष्य
  5. औरंगजेब का पत्र तथा सद्य:सम्पन्न उत्खनन
  6. पीटर मुण्डी का साक्ष्य
  7. शाहजहाँ-सम्बन्धी गल्पों का ताजा उदाहरण
  8. एक अन्य भ्रान्त विवरण
  9. विश्व ज्ञान-कोश के उदाहरण
  10. बादशाहनामे का विवेचन
  11. ताजमहल की निर्माण-अवधि
  12. ताजमहल की लागत
  13. ताजमहल के आकार-प्रकार का निर्माता कौन?
  14. ताजमहल का निर्माण हिन्दू वास्तुशिल्प के अनुसार
  15. शाहजहाँ भावुकता-शून्य था
  16. शाहजहाँ का शासनकाल न स्वर्णिम न शान्तिमय
  17. बाबर ताजमहल में रहा था
  18. मध्ययुगीन मुस्लिम इतिहास का असत्य
  19. ताज की रानी
  20. प्राचीन हिन्दू ताजप्रासाद यथावत् विद्यमान
  21. ताजमहल के आयाम प्रासादिक हैं
  22. उत्कीर्ण शिला-लेख
  23. ताजमहल सम्भावित मन्दिर प्रासाद
  24. प्रख्यात मयूर-सिंहासन हिन्दू कलाकृति
  25. दन्तकथा की असंगतियाँ
  26. साक्ष्यों का संतुलन-पत्र
  27. आनुसंधानिक प्रक्रिया
  28. कुछ स्पष्टीकरण
  29. कुछ फोटोग्राफ

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