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ताजमहल मन्दिर भवन है

पुरुषोत्तम नागेश ओक

प्रकाशक : हिन्दी साहित्य सदन प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :270
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 15322
आईएसबीएन :9788188388714

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पी एन ओक की शोघपूर्ण रचना जिसने इतिहास-जगत में तहलका मचा दिया...


राजकीय कब्रों के पीछे भूगर्भ में १४ कक्षों का उल्लेख करते हुए मौलवी मोइनुद्दीन ने अपनी पुस्तक में लिखा है*-"अन्तिम दो कमरों में छल-छल करती नदी की ओर झाँकने के लिए झरोखे बने हैं ये ही वे झरोखे हैं जो बहुत दिनों से छिपे हुए कमरों को प्रकाश में लाए हैं। सीढ़ियों के मुहाने पत्थर की शिलाओं से बन्द कर दिए गए थे। यह पता लगाना कठिन है कि ये भूगर्भीय कक्ष क्यों बनाए गए..."
* दि ताज एण्ड इट्स एनविरोनमेंट्स, पृष्ठ ३७–वास्तव में वहाँ २२ कमरे हैं।

मौलवी मोइनुद्दीन सदृश मुसलमान का भी मकबरे के नीचे बने कमरों का स्पष्टीकरण कठिन बताना यह प्रकट करता है कि ताज की सम्पूर्ण कहानी किस प्रकार असंगत बातों को जोड़कर गढ़ ली गई है। किन्तु प्रासाद में भूगर्भीय कक्षों का होना न केवल अत्यन्त उपयोगी है अपितु वे अपरिहार्य हैं। प्रासाद में ऐसे कक्षों का उपयोग कोष को रखने, मित्रों को छिपाने, शत्रुओं को बन्दी बनाने और गुप्त मन्त्रणा के लिए होता था। मकबरे में भूगर्भीय कक्ष अनावश्यक हैं।

यह तथ्य कि उन भूगर्भीय कक्षों को बालू से भरकर अनुपयोगी बना देना, इस बात का और प्रमाण है कि स्मारक को जब एक बार मकबरे में बदल दिया तो फिर शाहजहाँ नहीं चाहता था कि आगन्तुक और रख-रखाव करनेवाले कर्मचारी उन कक्षों का निवास के रूप में प्रयोग करें। अत: विकृत किए गए प्रासाद के अनावश्यक कक्षों को भर दिया गया।

उसी पृष्ठ पर लेखक मौलवी मोइनुद्दीन आगे लिखते हैं, "फर्श पर यमुना की रेत की मोटी तह की विद्यमानता से यह अनुमान लगाना संगत हो सकता है कि उस पर घाट बना था जो बाद में किन्हीं अज्ञात कारणों से उपयोग में नहीं लाया गया। इस स्थिति में उसको बनाने का वास्तविक उद्देश्य 'रहस्य' ही बना रह जाता है।

अनेक ऐसी बातें हैं जो उन लोगों के लिए निश्चित 'रहस्य' ही बनी रहेंगी जो ताजमहल का अध्ययन इस भ्रान्त धारणा के आधार पर करते हैं कि उसका निर्माण मकबरे के रूप में हुआ था। किन्तु इन सब रहस्यों का उद्घाटन उस समय हो जाता है जब यह मानकर अन्वेषण किया जाए कि शाहजहाँ के मस्तिष्क में इसको मकबरे का रूप देने का विचार आने से अनेक शताब्दी पूर्व ताजमहल राजपूत प्रासाद के रूप में विद्यमान था।

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    अनुक्रम

  1. प्राक्कथन
  2. पूर्ववृत्त के पुनर्परीक्षण की आवश्यकता
  3. शाहजहाँ के बादशाहनामे को स्वीकारोक्ति
  4. टैवर्नियर का साक्ष्य
  5. औरंगजेब का पत्र तथा सद्य:सम्पन्न उत्खनन
  6. पीटर मुण्डी का साक्ष्य
  7. शाहजहाँ-सम्बन्धी गल्पों का ताजा उदाहरण
  8. एक अन्य भ्रान्त विवरण
  9. विश्व ज्ञान-कोश के उदाहरण
  10. बादशाहनामे का विवेचन
  11. ताजमहल की निर्माण-अवधि
  12. ताजमहल की लागत
  13. ताजमहल के आकार-प्रकार का निर्माता कौन?
  14. ताजमहल का निर्माण हिन्दू वास्तुशिल्प के अनुसार
  15. शाहजहाँ भावुकता-शून्य था
  16. शाहजहाँ का शासनकाल न स्वर्णिम न शान्तिमय
  17. बाबर ताजमहल में रहा था
  18. मध्ययुगीन मुस्लिम इतिहास का असत्य
  19. ताज की रानी
  20. प्राचीन हिन्दू ताजप्रासाद यथावत् विद्यमान
  21. ताजमहल के आयाम प्रासादिक हैं
  22. उत्कीर्ण शिला-लेख
  23. ताजमहल सम्भावित मन्दिर प्रासाद
  24. प्रख्यात मयूर-सिंहासन हिन्दू कलाकृति
  25. दन्तकथा की असंगतियाँ
  26. साक्ष्यों का संतुलन-पत्र
  27. आनुसंधानिक प्रक्रिया
  28. कुछ स्पष्टीकरण
  29. कुछ फोटोग्राफ

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