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ताजमहल मन्दिर भवन है

पुरुषोत्तम नागेश ओक

प्रकाशक : हिन्दी साहित्य सदन प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :270
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 15322
आईएसबीएन :9788188388714

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पी एन ओक की शोघपूर्ण रचना जिसने इतिहास-जगत में तहलका मचा दिया...


बर्नियर यह भी लिखता है* कि अपनी कृपण प्रवृत्ति के बावजूद शाहजहाँ समृद्ध नहीं था। बर्नियर लिखता है'-"शाहजहाँ बहुत बड़ा अर्थशास्त्री था "जो" एकत्रित नहीं कर सका (अधिकाधिक) छ: करोड़ रुपए।"
* वही, पृष्ठ २५१

मुगलों के अत्यन्त समृद्धिशाली होने की सब कथाएँ किंवदन्ती हैं। इसमें सन्देह नहीं कि भारतीय जनता को बार-बार खुले आम लूटकर या फिर उन पर अनुचित कर तथा सुरक्षा शुल्क लगाकर उनसे अपार धन लूटा। किन्तु अपनी उस सम्पत्ति को अधिक समय तक सुरक्षित न रख सके। ज्यों ही यह धन एकत्रित होता था त्यों ही उसे दुष्ट एवं भ्रष्ट दरबारियों में इसलिए लुटाया जाता था कि जिससे वे ऐशो-आराम का जीवन व्यतीत करने के लोभ में बादशाह के साथ विश्वासघात न कर सकें। इस प्रकार मुस्लिम दरबारी लूटमार की सम्पत्ति पर ऐश करते हुए बादशाह को हमेशा पैसे से तंग रखते थे।

इसलिए यह कहना अनैतिहासिक होगा कि शाहजहाँ जिसने अपने ३० वर्ष से भी कम के शासन में ४८ युद्ध लड़े और अकालों का सामना किया, उसने वैभवशाली ताजमहल, पुरानी दिल्ली का नगर जामा मस्जिद और दिल्ली का भव्य लाल किला, और वह भी पूर्णतया हिन्दू पद्धति से, बनवाया। तब प्रश्न यह उठता है कि शाहजहाँ ने यदि दिल्ली को बसाया और उसके केन्द्र में फतेहपुरी मस्जिद बनवाई, तब फिर जामा मस्जिद बनवाने की आवश्यकता कहाँ रह गई? भारत में मुसलमानी शासन के झूठे और कल्पित विवरणों से इतिहास के लिए सामग्री एकत्रित करते हुए इस प्रकार के तर्कयुक्त अनेक प्रश्नों पर विचार नहीं किया गया।

सर एच. एम. इलियट ने अपने आठ भागोंवाले इतिहास-ग्रन्थ के प्राक्कथन में ऐसे अनेक कल्पित और झूठे विवरणों का उल्लेख किया है। कीन ने तारीख- ए-ताजमहल अभिलेख को जालसाजी पाया है। इसी प्रकार पंजाब क्षेत्रीय इतिहास कांग्रेस ने अपने १९६६ के अधिवेशन में तत्कालीन मुगल बादशाह को लिखे गए नवाब मालेरकोटला के उस पत्र को जालसाजी करार दिया है जिसे गुरु गोविन्दसिंह द्वारा अपने दो पुत्रों के विषय में प्रार्थना बताया जाता था।

'दि गाइड टु दि ताज ऐट आगरा"* लिखता है- "ऐसा कहा जाता है कि ताज में प्रवेश के लिए दो चाँदी के द्वार थे।"
* दि गाइड टु दि ताज ऐट आगरा, पृष्ठ १४

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    अनुक्रम

  1. प्राक्कथन
  2. पूर्ववृत्त के पुनर्परीक्षण की आवश्यकता
  3. शाहजहाँ के बादशाहनामे को स्वीकारोक्ति
  4. टैवर्नियर का साक्ष्य
  5. औरंगजेब का पत्र तथा सद्य:सम्पन्न उत्खनन
  6. पीटर मुण्डी का साक्ष्य
  7. शाहजहाँ-सम्बन्धी गल्पों का ताजा उदाहरण
  8. एक अन्य भ्रान्त विवरण
  9. विश्व ज्ञान-कोश के उदाहरण
  10. बादशाहनामे का विवेचन
  11. ताजमहल की निर्माण-अवधि
  12. ताजमहल की लागत
  13. ताजमहल के आकार-प्रकार का निर्माता कौन?
  14. ताजमहल का निर्माण हिन्दू वास्तुशिल्प के अनुसार
  15. शाहजहाँ भावुकता-शून्य था
  16. शाहजहाँ का शासनकाल न स्वर्णिम न शान्तिमय
  17. बाबर ताजमहल में रहा था
  18. मध्ययुगीन मुस्लिम इतिहास का असत्य
  19. ताज की रानी
  20. प्राचीन हिन्दू ताजप्रासाद यथावत् विद्यमान
  21. ताजमहल के आयाम प्रासादिक हैं
  22. उत्कीर्ण शिला-लेख
  23. ताजमहल सम्भावित मन्दिर प्रासाद
  24. प्रख्यात मयूर-सिंहासन हिन्दू कलाकृति
  25. दन्तकथा की असंगतियाँ
  26. साक्ष्यों का संतुलन-पत्र
  27. आनुसंधानिक प्रक्रिया
  28. कुछ स्पष्टीकरण
  29. कुछ फोटोग्राफ

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