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ताजमहल मन्दिर भवन है

पुरुषोत्तम नागेश ओक

प्रकाशक : हिन्दी साहित्य सदन प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :270
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 15322
आईएसबीएन :9788188388714

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पी एन ओक की शोघपूर्ण रचना जिसने इतिहास-जगत में तहलका मचा दिया...


पीटर मुण्डी का उन पहाड़ियों के समतल किए जाने के बारे में लिखना और अन्य बातों की उपेक्षा करना इस बात का स्पष्ट संकेत है कि यही एक बात थी जो शाहजहाँ ने मुख्य रूप से उस समय की, जबकि समकालीन दर्शक वहाँ पर विद्यमान थे। अन्यथा ताज के सम्बन्ध में पीटर मुण्डी द्वारा उल्लिखित संक्षिप्त विवरण में इस साधारण बात का उल्लेख मुख्य रूप से क्यों आता? यदि शाहजहाँ ने वास्तव में ताजमहल बनवाया ही था तो खाइयों की खुदाई, कुएँ तथा नाले बनवाना जिससे कि यमुना की बाढ़ का पानी ताजमहल की पिछली दीवार को हानि न पहुंचा सके और जिस प्रकार बड़े-बड़े शिलाखण्ड बड़ी-बड़ी ऊँचाइयों पर लगाए गए-ये सब टैवर्नियर और बनियर जैसे यात्रियों की दृष्टि में क्यों नहीं आए? ताजमहल सात मंजिला भवन है जिसमें चतुर्भुजाकार आँगन तथा उसमें बने ५०० कक्ष हैं। सारी भवन-परिधि ऊंची दीवार की है जिसमें नोकीले छड़ोंवाले प्रवेश-द्वार बने हैं। इन सबकी उपेक्षा करके मुण्डी केवल पहाड़ियों के समतल करने की ही बात करता है। क्यों?

सौभाग्य से पीटर मुण्डी पहाड़ियों के समतल करने के उद्देश्य के विषय में भी उल्लेख करता है। वह लिखता है, "क्योंकि वे कदाचित् सुन्दरता को छिपा न दें" इसलिए पहाड़ियाँ मिटा दी गई। यह तथ्य ही कि मुमताज़ की मृत्यु के एक-दो वर्ष बाद ही पहाड़ियाँ समतल कर दी गई जिससे कि मकबरा सुविधा से दिखाई दे, अंकित करता है कि ताजमहल परिसर पहले से ही विद्यमान था। जो कुछ आवश्यक था वह यही कि कुछ पहाड़ियों को समतल कर दिया जाए जिससे कि वह भवन दूर से भी दिखाई दे। ताज के प्राचीन हिन्दू निर्माताओं का, उसके इर्द-गिर्द पहाड़ी बनाने का मुख्य उद्देश्य यही था। मुण्डी के उल्लेख के अनुसार, कि दुराग्रही शत्रु कहीं उसको किसी प्रकार की हानि न पहुंचा सके। अब क्योंकि शाहजहाँ उसको मकबरे के रूप में परिवर्तित कर रहा था जो कि उसके देखने के लिए खुला रहे; इसलिए उसको. जन-सामान्य की दृष्टि से बचाने की आवश्यकता नहीं रही थी।

हम यहाँ पर यह भी जोड़ देना चाहते हैं कि रत्न-जटित कठघरा और चाँदी तथा सोना जो कई सौ हजार रुपए का था, वह भी हिन्दू सम्पदा थी। वास्तव में ताज को हथियाने का उद्देश्य उस सम्पदा का दुरुपयोग करना ही था। यदि शाहजहाँ ने स्वर्ण-जटित रेलिंग बनवाई होती तो इतिहास साक्षी होता कि किसने उसे निकाला और किसके आदेश से निकाला। जबकि शाहजहाँ के उत्तराधिकारियों ने उसकी मृत्यु के उपरान्त भी दो शताब्दियों तक दिल्ली और आगरा में शासन किया। ताज में मुमताज़ को दफनाना इस खेल का एक साधारण भाग था। मकबरा इसलिए बनवाया गया था ताकि वह स्थायी रूप से धार्मिक भावना का स्थान बन जाने से हिन्दुओं के उस मंदिर प्रासाद का पुनराधिकार और उपयोग का प्रश्न ही न उठने पाए। शाहजहाँ ने जो किया वह यह था कि ताज में जहाँ पर देवमूर्ति प्रस्थापित थी उस पवित्र स्थान पर उसने मुमताज़ को दफनाया। ऐसा करने के उपरान्त पीटर मुण्डी और टैवर्नियर जैसे विदेशी यात्रियों को भीतर बुलाकर उसे दूर से दिखाया गया, शरारती मुस्लिम दरबारियों ने ऐसे विदेशी पर्यटकों को ताज के दुरुपयोग के सम्बन्ध में पूर्णतया अन्धकार में रखा। इसके अतिरिक्त भी मध्यकालीन मुस्लिम विजेताओं में यह साधारण-सी बात थी कि दूसरे लोगों की सम्पत्ति तथा स्त्रियों को लूटकर उन्हें अपने अधिकार में कर लिया करते थे। यही कारण है कि मध्यकालीन मुस्लिम इतिहास में वाराणसी, दिल्ली तथा आगरा जैसे नगरों का दुराग्रहपूर्ण उल्लेख क्रमश: मुहम्मदाबाद, शाहजहाँनाबाद और अकबराबाद के नाम से किया गया है। मध्यकालीन मुगल दरबारियों की यह प्रवृत्ति थी कि हिन्दुस्तान को अफगानिस्तान, परसिया और अरब का उपद्वीप-सा मानकर सबकुछ मुस्लिम रंग में रंग दें जिससे कि इसके हिन्दू मूल का पता ही न चल सके। ताजमहल का अधिग्रहण और उसका परिवर्तन उसी दौर्मनस्यपूर्ण कड़ी का एक अंग था।

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    अनुक्रम

  1. प्राक्कथन
  2. पूर्ववृत्त के पुनर्परीक्षण की आवश्यकता
  3. शाहजहाँ के बादशाहनामे को स्वीकारोक्ति
  4. टैवर्नियर का साक्ष्य
  5. औरंगजेब का पत्र तथा सद्य:सम्पन्न उत्खनन
  6. पीटर मुण्डी का साक्ष्य
  7. शाहजहाँ-सम्बन्धी गल्पों का ताजा उदाहरण
  8. एक अन्य भ्रान्त विवरण
  9. विश्व ज्ञान-कोश के उदाहरण
  10. बादशाहनामे का विवेचन
  11. ताजमहल की निर्माण-अवधि
  12. ताजमहल की लागत
  13. ताजमहल के आकार-प्रकार का निर्माता कौन?
  14. ताजमहल का निर्माण हिन्दू वास्तुशिल्प के अनुसार
  15. शाहजहाँ भावुकता-शून्य था
  16. शाहजहाँ का शासनकाल न स्वर्णिम न शान्तिमय
  17. बाबर ताजमहल में रहा था
  18. मध्ययुगीन मुस्लिम इतिहास का असत्य
  19. ताज की रानी
  20. प्राचीन हिन्दू ताजप्रासाद यथावत् विद्यमान
  21. ताजमहल के आयाम प्रासादिक हैं
  22. उत्कीर्ण शिला-लेख
  23. ताजमहल सम्भावित मन्दिर प्रासाद
  24. प्रख्यात मयूर-सिंहासन हिन्दू कलाकृति
  25. दन्तकथा की असंगतियाँ
  26. साक्ष्यों का संतुलन-पत्र
  27. आनुसंधानिक प्रक्रिया
  28. कुछ स्पष्टीकरण
  29. कुछ फोटोग्राफ

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