इतिहास और राजनीति >> ताजमहल मन्दिर भवन है ताजमहल मन्दिर भवन हैपुरुषोत्तम नागेश ओक
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पी एन ओक की शोघपूर्ण रचना जिसने इतिहास-जगत में तहलका मचा दिया...
पाठक उपरिलिखित उद्धरण के प्रारम्भ में देख सकते हैं, अर्जुमन्द बानू को दी गई उपाधि मुमताज़ महल का क्या स्पष्टीकरण दिया गया है। इस उपाधि का अर्थ होता है प्रासाद की एक चुनी हुई महारानी (ताजमहल जिसका अपभ्रंश है)। यह उपाधि स्पष्टतया सिद्ध करती है कि रानी को यह उपाधि उसकी मृत्यु के उपरान्त दी गई थी, क्योंकि उसको दफनाने के लिए (हिन्दू) प्रासाद चुना गया था। हमने शाहजहाँ के दरबारी इतिहास का उल्लेख यह दिखाने के लिए किया है कि जब तक मुमताज़ जीवित थी उसका नाम 'मुमताज़ महल' नहीं अपितु 'मुमताज़-उल- ज़मानी' था। एन्साइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका के "'ताजमहल' नाम 'मुमताज महल' से लिया गया है" जैसे विवरण सर्वथा गलत हैं। उस महिला का नाम कदापि मुमताज़ महल नहीं था; मुस्लिम उच्चारकों ने उसकी मृत्यु के बाद उसे प्रासाद में दफनाने के उपरान्त उसको दिया। इस प्रकार भवन का नाम महिला के नाम पर रखने की अपेक्षा वह महिला ही थी जिसने कि अधिग्रहीत हिन्दू राजप्रासाद से अपना वह नाम पाया। उस अधिकृत हिन्दू प्रासाद की असीम सुन्दरता, शोभनीयता, भव्यता और प्रसिद्धि इतनी थी कि शाहजहाँ की महारानी ने उस जगमगाते प्रासाद से अपनी मृत्यु के उपरान्त नया नाम प्राप्त किया।
एन्साइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका में मुमताज़ की मृत्यु का वर्ष १६३१ है जबकि हम आगे के विवरणों से सिद्ध करेंगे कि उसकी मृत्यु १६२९ से १६३२ के मध्य हुई। इस प्रकार मुमताज़ की मृत्यु की तिथि भी अनिश्चित है। इसलिए स्वाभाविक ही उसकी कब्र से उखाड़े गए मृत शरीर के आगरा लाए जाने तथा रहस्यमय ताजमहल आदि सम्बन्धी सभी तिथियाँ कपोल-कल्पित हैं। इससे पाठकों को महत्त्वपूर्ण तिथि सम्बन्धी साधारण किन्तु निश्चित विषय के सम्बन्ध में भी मुसलमान इतिहासकारों की अविश्वसनीयता का विश्वास हो जाएगा। इससे यह भी सिद्ध होता है कि ताजमहल की कल्पित कहानी का प्रत्येक पहलू किस प्रकार सन्देहास्पद है। एन्साइक्लोपीडिया में ताजमहल के निर्माणारम्भ का वर्ष १६३२ अंकित किया गया है। किन्तु महाराष्ट्रीय ज्ञान-कोश (एन्साइक्लोपीडिया), जिसका उद्धरण हम परवर्ती अध्याय में प्रस्तुत करेंगे, में ताजमहल के निर्माणारम्भ का वर्ष १६३१ है। जब मुमताज की मृत्यु की तिथि ही अज्ञात है तो फिर इस प्रकार की असंगतियाँ अपरिहार्य हैं।
एन्साइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका बल देता है कि "भारत, फारस, मध्य एशिया तथा सुदूर देशों के वास्तुकारों की एक परिषद् द्वारा अभियोजना तैयार की गई।" यह भी उतना ही शिथिल तर्क है।
उपरलिखित उद्धरण के सूक्ष्म परीक्षण की आवश्यकता है। यह मान लेने पर कि मुमताज़ की मृत्यु १६३१ में हुई, तब हम यह पूछना चाहेंगे कि बैलगाड़ी और ऊँटों द्वारा परिवहन के उन दिनों में क्या यह विश्वसनीय प्रतीत होता है कि संसार के दूरस्थ देशों में वास्तुकारों का चयन, सम्बन्ध-स्थापन, बादशाह द्वारा व्यय-साध्य मकबरे के निर्माण-विचार के बारे में उनको बताना, योजना को अंतिम रूप देने के लिए परिषद् का गठन, निर्माण के लिए विपुल सामग्री एवं श्रमिकों का एकत्रीकरण और निर्माण कार्यारम्भ, यह एक वर्ष में अथवा उससे भी कम समय में यह सब सम्पन्न हो गया? किसी भी विद्वान् अथवा लेखक ने ताजमहल-सम्बन्धी विरोधी विवरणों का सूक्ष्म परीक्षण नहीं किया।
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