इतिहास और राजनीति >> ताजमहल मन्दिर भवन है ताजमहल मन्दिर भवन हैपुरुषोत्तम नागेश ओक
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पी एन ओक की शोघपूर्ण रचना जिसने इतिहास-जगत में तहलका मचा दिया...
इस मूलभूत अस्पष्टता के बावजूद, यदि विभिन्न इतिहासकार ताजमहल के निर्माण-काल के विषय में एकमत होते तो हम उसे सर्वसम्मत निष्कर्ष स्वीकार कर लेते। दुर्भाग्य से वहाँ ऐसा कोई एकमत नहीं है। देखिए इस सम्बन्ध में कितने मत हैं :
१. महाराष्ट्रीय ज्ञान-कोश, जिसका उल्लेख हम पहले कर चुके हैं, लिखता है,* "निर्माण कार्य १६३१ में आरम्भ हुआ और जनवरी १६४३ में पूर्ण हुआ।" इस प्रकार यह अवधि १२ वर्ष से कुछ कम होती है।
२. दि एन्साइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका कहता है,** " भवन-निर्माण १६३२ में आरम्भ हुआ। दैनिक बीस हजार से अधिक श्रमिक नियुक्त किए गए जिससे कि १६४३ तक मकबरा तैयार हो जाय। यद्यपि सारा ताज-परिसर पूर्ण होने में २२ वर्ष लगे।" पहले ज्ञान-कोश के विपरीत यह ज्ञान-कोश दो विभिन्न अवधियों का उल्लेख करता है। एक तो १० से ११ वर्ष का और दूसरा २२ वर्ष का। इस २२ वर्ष की अवधि के विषय में हम यह भी जानना चाहेंगे कि मकबरे के लिए अश्वशाला, आरक्षण-कक्ष तथा अतिथि-गृह जैसे भवन-समूह की क्या आवश्यकता थी? क्या मरणोपरान्त भी मुमताज़ के बुर्का छोड़, बड़ी संख्या में घुड़सवार सैनिकों के संरक्षण में घुड़सवारी करने की सम्भावना थी? क्या वह अतिथियों की भी अपेक्षा करती थी?
३. टैवर्नियर का विवरण सभी मुस्लिम-विवरणों के विपरीत चलता है। जो उपरिउद्धृत ज्ञान-कोशों का आधार बनता है। एन्साइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका का विवरण वास्तव में टैवर्नियर तथा मुसलमानी विवरणों का मिश्रण है। वह बीस हजार श्रमिक तथा २२ वर्ष की अवधि तो टैवर्नियर के विवरण से तथा ११ से १२ वर्ष की काल्पनिक अवधि मुस्लिम विवरण से लेता है।
टैवर्नियर कहता है,* "उसने अपनी आँखों से इस कार्य को आरंभ और पूर्ण होते देखा है जिसमें २२ वर्ष की कालावधि में २० हजार श्रमिक निरन्तर कार्य करते रहे। इसकी लागत अत्यधिक थी, केवल मचान बाँधना ही मुख्य कार्य से अधिक व्यययुक्त था।"
* ट्रैवल्स इन इण्डिया, पृष्ठ १०९-१११
यदि यह भी अनुमान लगा लिया जाए कि टैवर्नियर आगरा में १६४१ में आया और निर्माण कार्य उसके आने के तुरन्त बाद आरम्भ हो गया तो यह १६४१ से १६६३ तक चला। किन्तु शाहजहाँ को १६५८ में उसके पुत्र औरंगजेब ने गद्दी से उतारकर बन्दी बना दिया था। तब किस प्रकार मुमताज़ के मकबरे का कार्य १६६३ तक चलता रहा? अर्थात् शाहजहाँ से राज्य छिन जाने के भी पाँच वर्ष बाद तक? और यदि वास्तव में ऐसा ही हुआ भी तो उन मुसलमानी विवरणों का क्या किया जाए जो यह दावा करते हैं कि निर्माण-काल १६४३ में पूर्ण हुआ? तब इस अवस्था में कार्यारम्भ की तिथि की समस्या अधर में लटकी रहती है।
४. मियाँ मोहम्मद दीन ने अपने लेख* जिसे हम पहले उद्धृत कर चुके हैं, में कहा है, "ताजमहल का निर्माण कार्य १६३२ में आरम्भ हुआ था और १६५० तक पूर्ण नहीं हुआ था।" यहाँ हमें पुनः स्वाभाविक अस्पष्टता का सामना करना पड़ता है। प्रतीत होता है कि मियाँ मोहम्मद दीन कार्यारम्भ की तिथि के बारे में सुनिश्चित है। यदि हम सन् १६३२ में कार्यारम्भ स्वीकार कर लें तो टैवर्नियर के कथन का क्या करें जिससे वह दावा करता है कि कार्य उसकी उपस्थिति में आरम्भ हुआ। यदि हम कार्यारम्भ की तिथि मियाँ मोहम्मद दीन की तिथि स्वीकार कर लें तो हमें सोचना पड़ता है कि वह मकबरे की पूर्णता की तिथि के विषय में अस्पष्ट और अनाश्वस्त क्यों है ? इसलिए उसका कथन हमें १८ वर्ष की कालावधि बताता है, जिसके सम्मुख बहुत बड़ा प्रश्नचिह्न अंकित है।
* दि इलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ इण्डिया, दि. ३०-१२-१९५१
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