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ताजमहल मन्दिर भवन है

पुरुषोत्तम नागेश ओक

प्रकाशक : हिन्दी साहित्य सदन प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :270
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 15322
आईएसबीएन :9788188388714

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पी एन ओक की शोघपूर्ण रचना जिसने इतिहास-जगत में तहलका मचा दिया...


प्राचीन भारतीय वास्तुशिल्प और अभियान्त्रिकी के अध्ययन की ओर उनका रुझान कैसे हुआ इस पर श्री वजे ने एक बार वैदिक मैगजीन (लाहौर जो अब पाकिस्तान में है, से प्रकाशित) में लिखा-"अपने अभियान्त्रिकी पाठ्यक्रम के प्रशिक्षण के दौरान मुझे यह जानकर आश्चर्य हुआ कि इस सम्बन्ध में किसी भारतीय की कोई पाठ्य-पुस्तक, कोई फार्मूला आदि कुछ भी कहीं दिखाई नहीं देता। (यद्यपि) मैं जानता था कि बड़े प्रसिद्ध व्यक्ति भी (प्राचीन भारतीय) भवनों, मूर्तियों, दुर्गों, नहरों बन्दूकों और स्तम्भों की प्रशंसा करते थे। तब मैंने निश्चय किया कि देखना चाहिए कि माजरा क्या है मैं ऐसी लगभग ४०० पुस्तकों के नाम जानता हूँ जिनमें से मैंने पचास पढ़ी हैं।"

जबकि जन-साधारण अतर्क्य और भोलेपन के कारण यह माने बैठा था कि ताजमहल मुसलमानी भवन है, तब ई. वी. हेवेल जैसे प्रख्यात वास्तुविद् और बी. एल. धामा जैसे प्रख्यात पुरातत्त्वविद् जो आयोलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के आयोलोजिकल सर्वेयर तथा सुपरिन्टेंडेंट के पद से मुक्त हो चुके थे, दृढ़ता से लिखते हैं कि ताजमहल सम्पूर्णतया हिन्दू भवन है जिसे प्राचीन श्रेष्ठ हिन्दू परम्परा के अनुसार बनाया गया था।

अपनी ४६ पृष्ठीय पुस्तिका 'दि ताज' में उसके लेखक श्री धामा लिखते हैं- "न तो ताजमहल के मूल निर्माता का नाम और न ही उस पर व्यय की गई निश्चित धनराशि का कहीं उल्लेख मिलता है जो विदेशी इसकी योजना में भाग लेते हैं वे सत्य और उचित तथ्यों के निकट नहीं पहुंच पाते"इसका आकार-प्रकार तथा अनुपात सब कुछ भारतीय है"इसका निर्माता निश्चित ही न केवल हिन्दू शास्त्रों का ज्ञाता अपितु पारंगत पण्डित होगा"ताज शरीर और आत्मा से भारतीय है, मूलरूप से भारतीय है, केवल इसका कुछ भाग विकृत कर उसे बाहरी जामा पहनाने का यत्न हुआ है कोई भी यह भली प्रकार देख सकता है कि इसमें एक संस्कृति और विचारधारा जो कि पूर्णतया भारतीय है, कि मुद्रा अंकित है तीन भाग (चौकोर, अष्टभुज और मंडलाकार) सृष्टि, स्थिति तथा संहार के प्रतीक हैं और तीन देवता ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतिनिधित्व करते हैं"ताज का शिल्प कमल से लिया गया है-जो हिन्दूओं का पूज्य पुष्प है-सारी वास्तुसज्जा और निर्माण सब भारतीय हैं और प्राचीन स्मारकों और उस समय के स्मारकों से ग्रहण की गई हैं जब कहीं अरबी, मुस्लिम और सेल्जक पद्धति की वास्तुविद्या का नाम भी सुनने में नहीं आया था।"

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    अनुक्रम

  1. प्राक्कथन
  2. पूर्ववृत्त के पुनर्परीक्षण की आवश्यकता
  3. शाहजहाँ के बादशाहनामे को स्वीकारोक्ति
  4. टैवर्नियर का साक्ष्य
  5. औरंगजेब का पत्र तथा सद्य:सम्पन्न उत्खनन
  6. पीटर मुण्डी का साक्ष्य
  7. शाहजहाँ-सम्बन्धी गल्पों का ताजा उदाहरण
  8. एक अन्य भ्रान्त विवरण
  9. विश्व ज्ञान-कोश के उदाहरण
  10. बादशाहनामे का विवेचन
  11. ताजमहल की निर्माण-अवधि
  12. ताजमहल की लागत
  13. ताजमहल के आकार-प्रकार का निर्माता कौन?
  14. ताजमहल का निर्माण हिन्दू वास्तुशिल्प के अनुसार
  15. शाहजहाँ भावुकता-शून्य था
  16. शाहजहाँ का शासनकाल न स्वर्णिम न शान्तिमय
  17. बाबर ताजमहल में रहा था
  18. मध्ययुगीन मुस्लिम इतिहास का असत्य
  19. ताज की रानी
  20. प्राचीन हिन्दू ताजप्रासाद यथावत् विद्यमान
  21. ताजमहल के आयाम प्रासादिक हैं
  22. उत्कीर्ण शिला-लेख
  23. ताजमहल सम्भावित मन्दिर प्रासाद
  24. प्रख्यात मयूर-सिंहासन हिन्दू कलाकृति
  25. दन्तकथा की असंगतियाँ
  26. साक्ष्यों का संतुलन-पत्र
  27. आनुसंधानिक प्रक्रिया
  28. कुछ स्पष्टीकरण
  29. कुछ फोटोग्राफ

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