इतिहास और राजनीति >> ताजमहल मन्दिर भवन है ताजमहल मन्दिर भवन हैपुरुषोत्तम नागेश ओक
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पी एन ओक की शोघपूर्ण रचना जिसने इतिहास-जगत में तहलका मचा दिया...
शाहजहाँ भावुकता-शून्य था
ताजमहल के निर्माण का श्रेय शाहजहाँ को देते हुए तो उसे रोमियो जैसा मुमताज़ का प्रेमी और सहदय कलाकार बताना है, किन्तु इस सबसे दूर शाहजहाँ निष्ठुर, घमण्डी, अहंकारी, कृपण, भ्रान्तमति, क्रूर, कामुक और प्रजापीड़क शासक था और मुमताज़ उसकी पूर्ण सहचरी थी प्रेमिका नहीं।
मौलवी मोइनुद्दीन अहमद कहता है*-"योरोपियन इतिहासकार कभी शाहजहाँ पर यह आरोप लगाते हैं कि वह धर्मान्ध शासक था जिसका मूल कारण मुमताज़ की संकुचित बुद्धि थी।"
* दि ताज एण्ड इट्स एनविरोनमेंट्स, द्वितीय संस्करण, पृष्ठ ८, आर. जी. बंसल एण्ड कं., ३३९, कसेरत बाजार, आगरा द्वारा मुद्रित।
हेवेल लिखता है*-"शाहजहाँ ने जेसुइस्ट को बुरी तरह सताया। मुमताज महल, जो ईसाइयों की प्रबल शत्रु थी, उसने अपनी मृत्यु से कुछ ही समय पूर्व, हुबली में बसनेवाले पुर्तगालियों पर आक्रमण करने के लिए शाहजहाँ को उकसाया।"
* दि नाइन्टीन्य सेंचुरी एण्ड आफ्टर, खण्ड ३, पृष्ठ १०४१
दि ट्रांजेक्शन्स ऑफ दि आर्योलोजिकल सोसाइटी ऑफ आगरा में लिखा है*-"शाहजहाँ अनेक बार साधुओं और धर्मनिरपेक्ष पुरोहितों को मुसलमान बनने के लिए आमन्त्रित करता। (परन्तु जब वे उसके प्रस्ताव को ठुकरा देते) शाहजहाँ अत्यन्त क्रोधित होता और तभी तुरन्त आदेश देता कि अगले दिन ही उन पुरोहितों को कठोर यातनाएँ, जैसे हाथी के पैरों तले कुचलवा देना, दी जाएँ।"
* ट्रांजेशक्शन्स ऑफ दि आयोलोजिकल सोसाइटी ऑफ आगरा, जनवरी, सन् १८७८, पृष्ठ ८९
कौन कहता है-“शाहजहाँ ने निरंकुशता में सभी मुगल बादशाहों का अतिक्रमण कर दिया और वह उनमें से सबसे प्रथम था जिन्होंने सिंहासन की सुरक्षा के लिए सभी सम्भावित शत्रुओं की हत्या कर दी"रो, जो कि शाहजहाँ के व्यक्तित्व को जानता था, के अनुसार उसका स्वभाव कठोर और अहंकारी था तथा सबके प्रति उसकी तिरस्कारपूर्ण भावना थी।"
यहाँ तक कि शाहजहाँ के दरबारी इतिहास-लेखक मुल्ला अब्दुल हमीद ने दौलताबाद पर विजय के संदर्भ में लिखा है कि-"कासिम खाँ और कम्बू ४०० ईसाई बंदियों को, जिनमें नर-नारी, बाल-वृद्ध सभी थे, उनकी देव-मूर्तियों सहित धर्मरक्षक बादशाह के सम्मुख लाए। उसने आज्ञा दी कि उन लोगों को इस्लामी मत के सिद्धान्त समझाए जाएँ और उनको कहा जाय कि वे इसे स्वीकार कर लें। बहुत थोड़ों ने उसे अंगीकार किया। किन्तु अधिकांश ने हठ एवं स्वेच्छाचारिता के वशीभूत उस सुझाव को ठुकरा दिया। उनको अमीरों में बाँट कर आदेश दिया कि उन निर्लज कृतघ्नों को कष्टकर कारावास में डाल दिया जाए। परिणामस्वरूप उनमें से अनेक तो कारावास से सीधे ही नर्कवासी हो गए। पैगम्बर साहब से मिलती-जुलती उनकी मूर्तियों को यमुना में फेंकवा दिया और जो शेष रहीं उनको चूर-चूर करवा दिया।"
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- प्राक्कथन
- पूर्ववृत्त के पुनर्परीक्षण की आवश्यकता
- शाहजहाँ के बादशाहनामे को स्वीकारोक्ति
- टैवर्नियर का साक्ष्य
- औरंगजेब का पत्र तथा सद्य:सम्पन्न उत्खनन
- पीटर मुण्डी का साक्ष्य
- शाहजहाँ-सम्बन्धी गल्पों का ताजा उदाहरण
- एक अन्य भ्रान्त विवरण
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- बादशाहनामे का विवेचन
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- ताजमहल के आकार-प्रकार का निर्माता कौन?
- ताजमहल का निर्माण हिन्दू वास्तुशिल्प के अनुसार
- शाहजहाँ भावुकता-शून्य था
- शाहजहाँ का शासनकाल न स्वर्णिम न शान्तिमय
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- ताज की रानी
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