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इतिहास और राजनीति >> ताजमहल मन्दिर भवन है

ताजमहल मन्दिर भवन है

पुरुषोत्तम नागेश ओक

प्रकाशक : हिन्दी साहित्य सदन प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :270
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 15322
आईएसबीएन :9788188388714

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पी एन ओक की शोघपूर्ण रचना जिसने इतिहास-जगत में तहलका मचा दिया...


"मेजर प्राइस के अनुवाद के पृष्ठ २ पर यह लिखित है-'सूर्य के मेष राशि में प्रविष्ट होने पर वार्षिक उत्सव पर मैंने अपने पिता द्वारा निर्मित सिंहासन का प्रयोग किया और अतुलनीय धनराशि व्यय करके मैंने उसे सज्जित किया। सिंहासन की सज्जा में केवल रत्नों पर ही दस करोड़ अशर्फियाँ (करोड़ का अभिप्राय एक सौ लाख और लाख का अभिप्राय एक सौ हजार) तथा ३०० मन सोना लगाया गया। हिन्दुस्तानी तोल के अनुसार हिन्दू का मन इराक के १० मन के बराबर होता है।'

अनुवादक ने केवल रत्नों के मूल्यों को ही १५० मिलियन स्टर्लिंग में बदला है, जो कि अविश्वसनीय है जैसा कि उसने लिखा है किन्तु तुजक-ए-जहाँगीरी में युक्तियुक्त आंकड़े प्रस्तुत करते हुए लिखा है, 'केवल ६० लाख अशर्फियां और हिन्दुस्तानी तोल के अनुसार ५० मन सोना।' अधिकृत संस्मरणों में सिंहासन का कोई उल्लेख नहीं है।

"उससे थोड़ा आगे पढ़ने को मिलता है-"इस प्रकार अपनी अपेक्षाओं और आशाओं के अनुरूप जब मैं सिंहासन पर बैठा, मैंने उस राजकीय मुकुट को जिसे मेरे पिता ने फारस के महान् बादशाहों की परम्परानुसार बनवाया था, लाने का हुक्म दिया तथा सभी अमीरों के सम्मुख शुभ लग्न देखकर मेरे राज्य की समृद्धि और स्थिरता के लिए पूरी एक घड़ी तक उसे अपने माथे पर रखा। इस मुकुट के बारह कोणानों में से प्रत्येक पर एक हीरा जिसका मूल्य एक लाख अशर्फी था, जड़ा हुआ था, जो सभी मेरे पिता ने अपने साम्राज्य के आर्थिक साधनों से खरीदे थे न कि उस वस्तु से जो उन्हें अपने पूर्ववर्ती सम्राटों से उत्तराधिकार में मिली हो। मुकुट के शीर्षस्थ केन्द्रीय कोण पर एक ऐसा मोती जड़ा था जिसका मूल्य एक लाख अशर्फी था और मुकुट के विभिन्न भागों में सब मिलाकर २०० मणियाँ जिसका प्रत्येक का भार एक मिथ्कल था, और प्रत्येक का मूल्य ६,००० रुपए था। सर्वोच्च शक्ति के प्रतीक इस मुकुट का मूल्य कुल मिलाकर २० लाख स्टर्लिंग आँका जा सकता है।' इस बहुमुल्य मुकुट के सम्बन्ध में न तो किसी सामान्य ग्रन्थ में और न ही प्रामाणिक संस्मरणों में कोई उल्लेख पाया जाता है।

"पृष्ठ ५ पर जहांगीर कहता है कि उसने राजस्व के कुछ साधन जमा किए। 'जिनमें उसके पिता को सोलह सौ हिन्दुस्तानी मन के बराबर सोना प्राप्त हुआ जो कि इराकी १६ हजार मन के बराबर है।' तुजक में ६० हिन्दुस्तानी मन का उल्लेख है और प्रामाणिक संस्मरण में किसी राशि का उल्लेख नहीं है।

'पृष्ठ १४ पर वह कहता है कि 'आगरा दुर्ग की कारीगरी में ही केवल ५ मिथ्कल की १८० लाख अशर्फियों से कम खर्च नहीं हुआ। 'इस राशि को अनुवादक प्रशंसा के साथ २,६५,५०,००० रुपये में परिवर्तित करता है। तुजक में केवल ३६ लाख रुपए और अधिकृत संस्मरण में ३५ लाख रुपयों का उल्लेख है।

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    अनुक्रम

  1. प्राक्कथन
  2. पूर्ववृत्त के पुनर्परीक्षण की आवश्यकता
  3. शाहजहाँ के बादशाहनामे को स्वीकारोक्ति
  4. टैवर्नियर का साक्ष्य
  5. औरंगजेब का पत्र तथा सद्य:सम्पन्न उत्खनन
  6. पीटर मुण्डी का साक्ष्य
  7. शाहजहाँ-सम्बन्धी गल्पों का ताजा उदाहरण
  8. एक अन्य भ्रान्त विवरण
  9. विश्व ज्ञान-कोश के उदाहरण
  10. बादशाहनामे का विवेचन
  11. ताजमहल की निर्माण-अवधि
  12. ताजमहल की लागत
  13. ताजमहल के आकार-प्रकार का निर्माता कौन?
  14. ताजमहल का निर्माण हिन्दू वास्तुशिल्प के अनुसार
  15. शाहजहाँ भावुकता-शून्य था
  16. शाहजहाँ का शासनकाल न स्वर्णिम न शान्तिमय
  17. बाबर ताजमहल में रहा था
  18. मध्ययुगीन मुस्लिम इतिहास का असत्य
  19. ताज की रानी
  20. प्राचीन हिन्दू ताजप्रासाद यथावत् विद्यमान
  21. ताजमहल के आयाम प्रासादिक हैं
  22. उत्कीर्ण शिला-लेख
  23. ताजमहल सम्भावित मन्दिर प्रासाद
  24. प्रख्यात मयूर-सिंहासन हिन्दू कलाकृति
  25. दन्तकथा की असंगतियाँ
  26. साक्ष्यों का संतुलन-पत्र
  27. आनुसंधानिक प्रक्रिया
  28. कुछ स्पष्टीकरण
  29. कुछ फोटोग्राफ

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