इतिहास और राजनीति >> ताजमहल मन्दिर भवन है ताजमहल मन्दिर भवन हैपुरुषोत्तम नागेश ओक
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पी एन ओक की शोघपूर्ण रचना जिसने इतिहास-जगत में तहलका मचा दिया...
"पृष्ठ १५ पर वह कहता है-'वह मन्दिर जिसे राजा मानसिंह ने बनवाया था और जिसे बादशाह ने मस्जिद बनाने के उद्देश्य से ध्वस्त कर दिया उसके निर्माण की लागत ५ मिथ्कल की ३६ लाख अशर्फियाँ थीं, जिसे अनुवादक ५,४०,००,००० रुपए बतलाता है।' तुजक केवल आठ लाख रुपए का उल्लेख करता है।
"पृष्ठ ३२ पर वह शाहजादा परवेज को ५ लाख रुपए मूल्य की मोतियों की माला भेजता है, तुजक में केवल एक लाख का उल्लेख है।
"पृष्ठ ३४ पर वह कहता है-'अपनी मृत्यु पर दौलत खाँ ने जो सम्पत्ति छोड़ी वह अनुवादक के अनुसार बारह करोड़ थी।' तुजक सोने और अन्य मुद्राओं के अतिरिक्त ३ लाख हीरे के तुमान होने का उल्लेख करता है।
"पृष्ठ ३७ पर वह लिखता है-'उसके भाई दानियाल की सम्पत्ति में पाँच करोड़ अशर्फियों के हीरे, छः करोड़ तीन लाख स्टर्लिंग के बराबर दो करोड़ का खजाना था। तुजक इस राशि के सम्बन्ध में मौन है।
"पृष्ठ ५१ पर हेमू के मुकुट पर कहते हैं '६० लाख अशर्फियाँ ५४,००,००० स्टर्लिंग के हीरे, नीलम, माणिक, मरकत तथा मोती जड़े थे।' तुजक में केवल ८० हजार तुमान का उल्लेख है।
"पृष्ठ ६७ पर, अपने पुत्र खुसरो की खोज के विषय में कहते हुए वह बतलाता है-"उसकी अपनी अश्वशाला से ४० हजार घोड़े और एक लाख ऊंट लाकर बाँटे गए।' तुजक में इस विषय का उल्लेख नहीं है।
"पृष्ठ ७९ पर वह लिखता है उसने 'बादकशानियों में बाँटने के लिए एक लाख अशर्फी तथा अजमेर के दरवेशों में बाँटने के लिए ५० हजार रुपए जमीन बेग को दिए।' तुजक में तीस हजार रुपए का तो उल्लेख है किन्तु बादकशानियों को दिए गए दान का कोई उल्लेख नहीं है।
"पृष्ठ ८८ पर 'खुसरो की हीरों की पेटी में एक करोड़ अस्सी लाख स्टर्लिंग थे।' निश्चय ही बड़ी और भारी पेटी होगी जिसमें १८ हजार पौंड रखे जा सकते होंगे और तुजक में इसकी वस्तुओं के विषय में कोई उल्लेख नहीं है। "इस प्रकार अतिशयोक्तिपूर्ण उल्लेख प्राप्त होने के बाद अपरिमित वस्तुओं की बढ़ाई गई राशि पर कौन विश्वास करेगा"उसमें अन्य प्रकार का बढ़ावा-घटावा भी है। उदाहरणार्थ, खुसरो के विद्रोह और उसके पकड़े जाने से सम्बन्धित तथ्यों पर (विभिन्न प्रतियों में) अनेक आवश्यक विवरणों में मिलता है और इन घटनाओं के निष्कर्ष पर जहाँगीर के आगरा लौटने की अपेक्षा वह काबुल जाता है जैसा कि अन्य सभी इतिहासों में ऐसा करने का उल्लेख है।
"जिन तथ्यों का वर्णन नहीं किया गया है, उनमें एक अत्यधिक स्पष्ट एवं महत्त्वपूर्ण है-सुरापान के प्रति उसके रुझान का कोई संकेत तक नहीं है। वह अपने भाई दानियाल के व्यसन के सम्बन्ध में भयंकर बातें करता है, जबकि वास्तविक संस्मरणों में उसके सुरापान के विषय में अनेक उल्लेख हैं जैसे कि जहाँगीर के प्रपितामह बाबर के संस्मरणों में हैं। अपने अत्यधिक सुरापान को उसने स्वयं भी स्वल्प रूप में स्वीकारा है।"
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- प्राक्कथन
- पूर्ववृत्त के पुनर्परीक्षण की आवश्यकता
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- टैवर्नियर का साक्ष्य
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- शाहजहाँ-सम्बन्धी गल्पों का ताजा उदाहरण
- एक अन्य भ्रान्त विवरण
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- बादशाहनामे का विवेचन
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- ताज की रानी
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