सामाजिक >> अजनबी अजनबीराजहंस
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राजहंस का नवीन उपन्यास
"लता...तुमने मुझे हमेशा ही गलत समझा है। आज भी गलत . समझ रही हो...अमीर होना कोई अपराध तो नहीं है...अगर मेरा बाप अमीर है...इसमें मेरा क्या दोष है...लंता तुम क्या समझती हो...मैं इतनी बुद्धि भी नहीं रखता कि तुम इस समय कहाँ से आ रही हो।"
“बोलो मैं कहाँ से आ रही हूं।" लता का स्वर अभी भी...कठोर था।
"सुनना चाहती है तो सुनो तुम मुकेश के घर से आ रही हो। और वो भी निराश किर।" वहाँ मुकेश के बदले तु. ताले के दर्शन मिले हैं।"
"अगर तुम ये जानते हो तो ये भी जानते होंगे मुकेश केही है...मुझे बताओ मुकेश कहाँ है?" “अगर मैं न बताऊं।”
"तुम्हें बताना ही होगा। अचानक ही लता ने विकास का
कोलर पकड़कर उसे झकझोर दिया।
“क्या करोगीं सुनकर...पता नहीं तुम मेरा विश्वास भी करोगी या नहीं।"
"तुम बताओ वह कहाँ गया है?”
"सुनो लता मुकेश ने तुम्हें धोखा दिया है। वह सिर्फ तुमसे दिखावा करता है। वह तुम्हें अपने जाल में फंसाना चाहता था। उसने जब देखा तुम उल्टा ही उसके गले पड़ रही हो तो वह अपनी जान बचाकर चला गया। वह तुम्हीं से नहीं बल्कि एक अमीर लड़की से भी प्रेम करता था। उसके सामने तुम क्या थीं कुछ भी '
' नहीं...मैने उसे अपनी आंखों से एक लड़की के साथ उसकी कार .. में जाते देखा है।"
"न......हीं।” लता के मुंह से एक चीख निकली और दूसरे ही क्षण वह बेहोश हो गई। अगर तुरन्त ही विकास सम्भाल न लेता तो लता वहीं सड़क पर गिर पड़ती।
विकास ने लता को पीछे की सीट पर लिटा दिया और फिर गाड़ी स्टार्ट कर दी। विकास धीरे-धीरे गाड़ी चला रहा था और सोच रहा था अब लता को कहाँ ले जाया जाये?'
रवि के अड्डे पर तो अनेक गुण्डे थे जो एक ही दिन में लता को नोंच खायेंगे। फिर क्या किया जाये। तभी लता के कराहट की आवाज सुनाई दी। विकास.ने लता की ओर देखा तो वह फिर बेहोश से गई थी। आखिर विकास ने अपने बंगले पर ही उसे ले जाने का निश्चय किया। उसके डैडी सुबह बाहर जाने वाले थे सो डैडी का कोई खतरा नहीं था। थोड़ी देर विकास ऐसे ही सड़क .: पर गाड़ी दौड़ाता रहा। जब उसे पक्का यकीन हो गया कि डैडी चले गये होंगे तो उसने गाड़ी घर की ओर मोड़ दी।
कार गैराज में खड़ी करके विकास अन्दर आया। अन्दर रामू काका घर की सफाई में लगा था।
रामू काका इस घर का पुराना नौकर था जो शायद नौ दस। साल का इस घर में आया था और अब बूढ़ी हो चुकी थी। वह . इस घर का सबसे वफादार नौकर था। बूढ़ा होने की वजह से...। विकास उसे रामू काका ही कहा करता था। समू मी विकास को अपने बच्चे से अधिक प्यार करता था। अनेक बार रामू ने विकास। को अपने डैडी से पिटने से बचाया था।
आज भी विकास को रामू काका पर पूरा भरोसा था।
विकास ने आवाज लगाई-“राम काका।”
"का है छोटे सरकार।” राम विकास की आवाज से चौंक गया।
“काका जरा इधर आओ।" इतना कहकर विकास बाहर चल दिया।
रामू विकास के पीछे-पीछे चल दिया।
गैराज के पास आकर विकास ने रामू से कहा-“काका मेरी गाड़ी में एक लड़की बेहोश पड़ी है उसे जरा कमरे तक पहुंचा दो।"
"क्या...लड़की....!" रामू आश्चर्य से विकास को घूरने लगा।
"इसमें घूरने की क्या बात है काकी।” रामू को घूरते देख विकास ने कहा।
"ई लड़की कहाँ से ले आये छोटे सरकार...बड़े सरकार को पता चला तो घर से बाहर कर देंगे।” रामू घबराहट से कांप रहा था।
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