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अजनबी

राजहंस

प्रकाशक : धीरज पाकेट बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :221
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 15358
आईएसबीएन :0

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राजहंस का नवीन उपन्यास

“क्या डैडी घर में हैं?” अचानक विकास का चेहरा सफेद पड़ गया।

“नाहीं अभी तो मद्रास गये हैं।"

"रामू काका तुम भी अजीब हो..तुमने तो तेरा खून ही सुखा दिया था..जब तक डैडी आयेंगे ये अपने घर चली जायेगी।"

"परन्तु छोटे सरकार जब उन्हें पता चलेगा तब क्या नाराज न होई।"

“परन्तु काका तुम बताओ अगर रास्ते में कोई बेहोश या जयी पड़ा हो तो क्या उसकी मदद नहीं करनी चाहिये?"

"जरूर करनी चाहिये...ये तो पुण्य का काम है।"

"तब बताओ इस लड़की को घर लाना कैसे गलत है?"

“छोटे सरकार, हमको तुम्हारी बात समझ में नहीं आई।"

"काका, पहले इसे अन्दर ले चलो। फिर सब समझा दूंगा...नहीं तो ये गाड़ी में ही मर जायेगी।" विकास ने रामू को समझाया।

रामू तुरन्त गाड़ी का गेट खोलकर लता को उतारने लगा। इस समय लता कुछ-कुछ होश में आने लगी थी। दोनों उसे पकड़ .. कर कमरे में ले गये। वहाँ एक पलंग पर लता को लिटा दिया। अब तक लता होश में आ गई थी। वह अचानक उठकर बैठ गई और कमरे को आंखें फाड़-फाड़ कर देखने लगी। तभी उसकी नजर विकास पर पड़ी-

"मैं ये कहाँ हूं, बोलो विकास यहाँ मुझे कौन लाया है...बोलो क्या तुम मुझे यहाँ लाये हो...बोलो ये कौन सी जगह है बताओ विकास?" लता ने बिस्तर से उतरकर विकास का कालर पकड़ लिया। इस समय उसकी दशा पागलों के समान थी।

रामू ने जब लता को विकास का कालर पकड़ते देखा तो घबरा गया। वह तुरन्त बीच में आकर खड़ा हो गया और विकास का कालर छुड़ाते हुए बोला-"अरे बिटिया इस बेचारे को क्यों मारती हो...ये तो तुम्हें सड़क पर बेहोश पड़ी देख. दयावश उठा लाया।"

"क्या... मैं... मैं सड़क पर बेहोश पड़ी थी...बाबा तुम सच कह रहे हो?” लता ने रामू की बात सुन एकदम विकास का कालर छोड़ दिया।

"हाँ लता तुम बेहोश हो गई थीं...ये कोई ऐसी वैसी जगह नहीं...मेरी कोठी है...ये हमारे रामू काका हैं।” विकास ने लता को समझाया।

लता परेशान हो उठी। उसे एक-एक करके सब कुछ याद आने लगा। अब उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे, कहाँ जाये? जिसके सहारे पर उसे घर छोड़ा था वह उससे काफी दूर जा चुका था।

लता ने सपने में भी नहीं सोचा था कि मुकेश उसे इस प्रकार धोखा देगा। उसने सदा ही मुकेश को अपने सपनों में सजाया था। मुकेश के अलावा आज तक उसने किसी पुरुष से ठीक से बात भी ने की थी। वही मुकेश विकास के अनुसार उसे छोड़कर चला गया था।

"बिटिया चाय पी लो।” ये आवाज, रामू काका की थी।

लता अचानक ख्यालों की दुनिया से बाहर आ गई। उसने चाय का प्याला हाथ में ले लिया।

जब लता ने चाय पी ली तब विकास ने पूछा-“लता अंब तुम्हारी तबीयत कैसी है?"

"अब मैं बिल्कुल ठीक हूं।" लता ने धीरे से कहा है। उसकी नजरें नीचे झुकी हुई थीं।

"चलो मैं तुम्हें...तुम्हारे घर छोड़ आता हूँ।” विकास ने कुर्सी पर बैठे-बैठे ही कहा।

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