सामाजिक >> अजनबी अजनबीराजहंस
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राजहंस का नवीन उपन्यास
“वो विकास ये चाय वाये क्या करनी है?” लता ने कहा।
"देखो लता...एक बात मैं तुम्हें अच्छी तरह समझा देना चाहता
हूं...आफिस में तुम मुझे विकास नहीं कहोगी...यहाँ सब मुझे मैनेजर ..साहब ही कहते हैं...दूसरे आफिस में किसी को पता नहीं चलना चाहिये कि तुम मुझे पहले से जानती हो...जिस दिन किसी को ये मालूम हुआ...दूसरे दिन तुम्हारी नौकरी चली जायेगी...जो कोई पूछे यही कहोगी कि तुम रामू काका की जान पहचान की हो।” विकास के स्वर में कठोरता थीं।
"ओ० के० बॉस।” लता ने हर बात को समझते हुये कहा।
तभी चपरासी चाय व बिस्कुट ले आया। चपरासी ने मेज पर चाय का सामान लगा दिया-“बॉस चाय बना दूं।" चपरासी ने पूछा।
"नहीं तुम जाओ।" विकास ने कहा।
चपरासी चला गया। लता ने चाय तैयार की और एक कप विकास की ओर बढ़ा दिया। दूसरा कप अपने पास रख लिया। दोनों चुपचाप चाय की चुस्की लेने लगे।
चाय के बाद विकास ने लता को उसका काम समझाया। . तभी उसे ख्याल आया कि लता को सबसे ज्यादा काम टाइप का करना होगा।
“एक परेशानी है तुम्हारे साथ।” विकास ने कहा।
“क्या..?" लता के चेहरे पर परेशानी छा गई। उसकी समझ में नहीं आया विकास क्या कहना चाहता है।
"यहाँ तो सारा काम टाइप का है इसे तुम कैसे कर पाओगी?” विकास ने पूछा।
क्यों?” लता विकास की परेशानी समझ गई। उसके चेहरे
पर मुस्कुराहट दौड़ गई।
“तुम्हें टाइप तो आती नहीं होगी।”
"कोशिश करूंगी तो आ जायेगी...तुम कुछ समझा सकते हो।” लता ने विकास को परेशान करने की ठानी।
"मुझे तो आती है..पर एक दिन में तो तुम्हें सिखा नहीं, पाऊंगा।” विकास में परेशानी भरे स्वर में कही।
"एक सप्ताह में तो सीख ही जाऊंगी।” लता ने भोलेपन से कहा।
"तुम बिल्कुल बेवकूफ हो...टाइप के लिये काफी प्रैक्टिस की जरूरत होती है।"
“अरे तो आज कुछ सिखा दो। कहाँ है टाइप मशीन?"
लता ने इधर-उधर नजर घुमाकर पूछा। लता ने एक कोने में अपनी मेज़ के पास रखी मशीन को देख लिया था।
"जिद्द करती हो तो वो देखो वो रखी है।” विकास ने मशीन की तरफ इशारा किया।
लता उठी और मशीन के पास जाकर बैठ गई और उसे अनजान की तरह देखने लगी।
"अब मुझे समझाइये इसको कैसे चलाया जायेगा।" लता ने विकास से कहा।
"तुम मानोगी नहीं, चलो समझाता हूँ।" विकास ने लता के पास पहुंचकर कही।
विकास लता को टाइप का पहला पाठ पढ़ाने लगा उसने लता को सब जरूरी बातें समझा दीं।
“अब और कल सीखना...अभी मुझे आफिस को काफी काम करना है।” विकास ने समझाना बन्द कर दिया और अपनी
मेज के पास लगी अपनी कुर्सी पर बैठ गया।
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