लोगों की राय

सामाजिक >> अजनबी

अजनबी

राजहंस

प्रकाशक : धीरज पाकेट बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :221
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 15358
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

राजहंस का नवीन उपन्यास

लता की नजरें चारों ओर घूम रही थीं वहाँ का वातावरण निर्लज्जता से भरा हुआ था। हर लड़की ने अधिक से अधिक अपने शरीर को दिखाने की कोशिश की थी। हरेक के चेहरे लिपे पुते। थे। हर किसी के हाथ में गिलास थमे थे। किसी-किसी मेज पर ताश पड़े हुये थे। लड़कों के साथ लड़कियां भी हर काम में पूरा हाथ बटा रही थीं। एक कोने में हल्की-हल्की संगीत की धुन का रही थी।

सब कुछ मिलाकर लता के लिये बोर करने वाला वातावरण था।

विकास ने लता से पूछा-“बोलो क्या पियोगी?"

"अभी तो चाय पीकर आ रहे हैं।" लता की इच्छा थी तुरन्त ही यहाँ से चल दिया जाये।

"लेकिन यह तो सभ्यता के खिलाफ है कि यहाँ आये और ऐसे ही बैठकर चल दें।” विकास ने समझाने वाले स्वर में कहा।

"तब जो इच्छा हो मंगा लो।”

"मेरी इच्छा की चीज पियोगी।” विकास के चेहरे पर शरारत पूर्ण मुस्कुराहट थी।

“हाँ...हाँ...बिल्कुल।”

"तब व्हिस्की मंगा लूं।” तिकास मुस्कुराते हुये बोला।

"क्या...कहा...तुम व्हिस्की पीते हो।” लता का पूरा शरीर कांप उठा।

"हाँ...क्यों...क्या बुरी चीज है?"

"और क्या अच्छी चीज है?"

"देखो लता इस हॉल में कितनी लड़कियां हैं...सबके हाथ में गिलास है। क्या बता सकती हो वह क्या पी रही हैं।”

"कोई जूस या लिम्का आदि होगा।” लता ने चारों ओर नजर डालते हुये कहा।

“यहीं तो तुम गलत हो।”

"क्या मतलब।” लता चौंक उठी।

"इन सबके हाथों में जाम है...व्हिस्की या बियर और कुछ नहीं...जूस पीने वाले को ये अनाड़ी...बेकवर्ड समझती हैं।"

"देखो विकास ये जो भी करती हों...लेकिन ये सब अपने बस का नहीं है...औरत घर की शोभा होती है...बाजार में बिकने वाली चीज नहीं।”

लता के चेहरे पर कुछ-कुछ क्रोध के चिन्ह उभर आये थे। “क्लब में बैठी सब लड़कियों को लता नफरत की नजर से देख रही थी।

“ओ के...मैंने तुम्हें. यह तो नहीं कहा कि तुम जरूर। पियो...चलो जूस मंगा लेते हैं।" विकास ने देखा लता इतनी जल्दी उसके रंग में रंगने वाली नहीं है तो खुशामद पर आ गया। उसने बैरे को बुलाकर दो जूस का आर्डर दिया और लता के रूप को निहारने लगी। कुछ ही देर बाद वैरा दो गिलास जूस वे कुछ खाने का सामान उनके सामने सजा गया।

लता धीरे-धीरे जूस के सिप ले रही थी और वहाँ के वातावरण को देख रही थी।

इधर विकास लता के ख्यालों में खोया था...वह एक सफल शिकारी था। आज तक उसने जिस पर भी हाथ डाला उसे पाकर ही छोड़ा था। लेकिन उसकी एक प्रवृत्ति थी वह किसी काम में जत्दबाजी नहीं करता था। यही कारण था कि दो साल से लगातार वहे लता के पीछे था पर उसने कभी गलत कदम नहीं उठाया था। उसी का फल था कि आज लता उसके सामने बैठी थी। विकास लता को इस रंग में रंगना चाहता था इसीलिये आज उसे यहाँ लाया। था पर लता के विचार बिल्कुल भिन्न थे।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book