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अजनबी

राजहंस

प्रकाशक : धीरज पाकेट बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :221
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 15358
आईएसबीएन :0

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राजहंस का नवीन उपन्यास

“मैं आ सकती हूं।” लता ने अन्दर कदम रखते हुये कहा।

"यस।" विकास ने कहा फिर वह लता का चेहरा देखता ही रह गया। लता के चेहरे से लग रहा था जैसे कई दिनों की बीमारी से उठकर आई हो।

"अरे तुम्हें क्या हो गया?” विकास के मुंह से निकला।

"कुछ नहीं थोड़ा सिर दर्द था।" लता ने अपनी सीट पर बैठते हुए कहा।

"परन्तु तुम्हारे चेहरे से तो लग रहा है तुम्हें बुखार है।” विकासे अपनी सीट से उठकर लता के पास आ गया। उसने जैसे ही लता का हाथ पकड़ा तुरन्त चौंक उठा।

“ऐ तुमको तो बहुत तेज बुखार है।"

“ऐसे ही होगा...ठीक हो जायेगा।”

"तुम पागल हो, आने की क्या जरूरत थी फोन कर देती।" विकास के मुंह से निकला।

फोन।” लता विकास का मुंह देखने लगी।

"ओह...सॉरी लता...मुझे ख्याल ही नहीं रहा कि अभी तुम्हारे फ्लैट पर फोन नहीं लगा है।” विकास ने अपनी गलती का अहसास

करते हुये कहा। फ़िर उसने कुछ कागजों पर दस्तखत किये और घंटी पर हाथ दे मारा।

घंटी बजते ही बाहर से चपरासी हाजिर हुआ।

“कहिये हुजूर।”

"बड़े बाबू को बुलाओ।” विकास ने चपरासी को कहा और अपने काम में व्यस्त हो गया। बीच-बीच में वह लता की तरफ भी। देखता जा रहा था। लता मेज पर सिर झुकाये बैठी थी।

कुछ देर बाद ही बड़े बाबू आ गये। विकास ने कुछ कागज बड़े बाबू की तरफ बढ़ाये और बोला-"इन पर मैंने साइन कर दिये हैं...लता को बुखार है, इसको डॉक्टर को दिखाकर मैं कुछ देर में वापिस आता हूं।"

“ठीक है सर।" बड़े बांबू ने कागज लिये और चल दिया।

“लता उठो।” विकास ने उसे उठाते हुये कहा।

बड़ी मुश्किल से लता उठी और धीरे-धीरे जाकर गाड़ी में बैठ गई।

विकास ने गाड़ी स्टार्ट की और फिर उसकी गाड़ी उसके फैमिली डाक्टर मिस्टर वर्मा के क्लिनिक के सामने जाकर रुकी।

डाक्टर वर्मा ने लता को चैक किया और कुछ दवाईयां लिख कर पर्चा विकास के हाथ में थमा दिया।

"डाक्टर क्या है?” विकास ने डाक्टर से पूछा।

"कुछ दिमागी परेशानी के कारण ये सब हो गया है, इग्दो पूरे आराम की जरूरत है। वैसे घबराने की जरूरत नहीं है, एक दिन में ठीक हो जायेंगी।" डाक्टर वर्मा ने बताया।

“थैक्यू डाक्टर।” विकास ने कहा फिर वह लता को लेकर उसके फ्लैट की ओर बढ़ गया।

विकास के हाथ स्टेयरिंग पर थे परन्तु मन में कल शाम की बातें घूम रही थीं। क्लब में लता से हुई बातें उसके दिमाग में हलचल मचाये हुये थीं, उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि उन छोटी-छोटी बातों ने लता को इतना क्यों परेशन किया कि एक ही रात में सप्ताहों की बीमार बन गई। इन्हीं सोच विचार में लता का फ्लैट आ गया। विकास ने लता को सहारा देकर उतारा और कमरे में ले जाकर पलंग पर लिटा दिया।

फिर वह कैमिस्ट से दवाई लेने चला गया। दवाई फल लाने के समय ही रास्ते के पब्लिक बूथ से विकास ने रामू को फोन करके लता के फ्लैट पर आने के लिये भी कह दिया था।

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