सामाजिक >> अजनबी अजनबीराजहंस
|
|
राजहंस का नवीन उपन्यास
"क्यों मुकेश तो था।"
"विकास...।"
"क्यों...क्या मैंने गलत कही।"
"आज कहा...आज के बाद कभी ये शब्द मुंह से न निकालना।” सुनीता का चेहरा क्रोध से कांप रहा था।
"क्यों न कहूं।”
"विकास अगर तुमने भाई-बहन के पवित्र रिश्ते पर कीचड़ उछाला तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा,..मैं तुम्हारी पत्नी हैं...पर इसका मतलब यह नहीं कि तुम मुझे जो चाहो कह लो ।”
"और तुम मुझे सब कुछ कह सकती हो।”
"मैंने तुम्हें ऐसा कुछ नहीं कहा...जो बुरा लगे...तुम लता के साथ पूरे दिन आफिस में रहते हो...पर मैंने यह नहीं कहा कि तुमने लता से शादी क्यों नहीं की।"
सुनीता का मूड विकास की बातों से उखड़ गया था। उसने गाड़ी घर की ओर मोड़ दी। .
"कहाँ जा रही हो?"
"घर।”
“क्यों...तुम तो घूमने के लिये आई थीं।”
"अब इछा नहीं हैं।"
“तब मेरै आफिस का नुकसान क्यों किया।"
"अभी समय है...तुम्हें आफिस छोड़ती हुई चली जाऊंगी।" फिर सुनीता ने कोई बात नहीं की। विकास को आफिस छोड़ा और घर की ओर चल दी।
लता ने विकास को वापिस आते देखा तो खुश हो गई उसने
आज सोच लिया था आफिस के बाद विकास को अपने फ्लैट पर ले जायेगी और उससे साफ-साफ बात करेगी। सुनीता के आने से उसका सारा. प्रोग्राम चौपट हो गया था और उसे सुनीता पर रह-रहकर गुस्सा आ रहा था।
सुनीता विकास को अधिकार-पूर्वक ले गई थी। अभी तक लता लोगों की अफवाह ही समझती थी कि विकास ने शादी कर ली पर आज सुनीता के व्यवहार ने लता को झकझोड़ कर रख दिया था। इस प्रकार का अधिकार एक पत्नी ही जता सकती है और कोई नहीं...लेकिन फिर विकास ने मुझसे शादी क्यों की थी क्या दो-दो पत्नी रखेगा।
छुट्टी के बाद लता व विकास एक साथ आफिस से चल दिये। विकास गाड़ी ड्राईव कर रहा था लता उसकी बगल में बैठी थी। लता का सिर बार-बार विकास के कंधे से लग रहा था लेकिन आज उसके स्पर्श से विकास के शरीर में कोई सिरहन नहीं उठे रही थी।
"कहाँ चलना है।” विकास ने पूछा।
“क्लब छोड़कर कहीं भी ले चलो।” लता ने कहा।
क्यों क्लब क्यों नहीं।”
"आज मैं भीड़-भाड़ का वातावरण नहीं चाहती हूं।"
“तब फिर घर ही चलते हैं...पर मैं ज्यादा समय नहीं दे पाऊंगा।”
"मैं कुछ पूछ सकती हूं।”
“पूछो।”
"ये सुनीता कौन है?"
“मेरे व्यक्तिगत मामलों से तुम्हारा कोई मतलब नहीं होना चाहिये।
लता कुछ कहना ही चाहती थी कि उसका फ्लैट आ गया। विकास ने गाड़ी रोकी और फिर दोनों उतर गये।
|