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मिस आर - आरंभ

दिशान्त शर्मा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 15962
आईएसबीएन :978-1-61301-699-2

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भारत  की  पहली  महिला  सुपर हीरोइन ‘मिस -आर' जो खुद एक बलात्कार पीड़िता और एसिड पीड़िता है लेकिन उसकी ‘औरा पावर’ ने उसे एक नया अवतार दिया है। वो खुद की और लोगों की मदद करना चाहती है...

एक घंटे बाद, डा. आयशा के केबिन में वीणा औरमि. जेसन बैठे हुए थे। कैथरीन लेटी हुई थी और डा. आयशा जाँच कीरिपोर्टें देख रही थीं, हालांकि उन्होंने कैथरीन को प्राथमिक तौर पर दवाइयाँ दे दी थीं।

“क्या हुआ डाक्टर? कैथरीन ठीक तो है ना?” मि. जेसन ने डा. आयशा से पूछा।

“मि.जेसन रिपोर्टस् बताती हैं कि कैथरीन को कोई भी बीमारी नहीं है। वो बिल्कुल ठीक है। शायद दर्द की वजह से मांसपेशियों में खिंचाव था। वोअब बिल्कुल ठीक है,।” डा. आयशा ने उनकी चिंता को दूर करते हुये कहा।

इसके बाद मि. जेसन ने वीणा को उसके घर छोड़ा और कैथरीन को ले कर घर आ गये।

“अब कैसा लग रहा है?” मि. जेसन ने बिस्तर पर लेटी हुई कैथरीन से पूछा।

“अब मैं ठीक हूँ, पापा, बस नींद आ रही है।” कैथरीन ने जवाब दिया। “तो सो जाओ बेटा, मैं लाइट आफ कर देता हूँ।”उन्होंने कैथरीन से कहा और कमरे की बत्ती बुझा कर आंगन में रखे सोफे पर बैठ गये। आंगन में बैठे हुए मि. जेसन के चेहरे के भाव निरंतर बदल रहे थे, ऐसा लग रहा था मानों वो कैथरीन के दर्द की वजह को जानते थे। वो आज की घटना से हैरान नहीं थे। जैसे वो जानते थे कि यह होगा ही। एकाएक मि. जेसन ने एक तेज हाथ सोफे के हत्थे पर मारा और उठ कर अपने कमरे में सोने चले गये।

अगले 2 दिन तक कैथरीन को कोई भी तकलीफ नहीं हुई फिर भी उसकी देखभाल के लिए मि. जेसन दो दिन से घर पर ही थे।

शाम को कैथरीन किचन में प्याज काट रही थी, ताकि पापा और खुद के लिए पुलाव बना सके। उसने प्याज काटने की शुरुआत ही की थी कि तभी कैथरीन को फिर से हल्का-सा दर्द महसूस हुआ और कैथरीन ने पाया कि उसका दायाँ हाथ प्याज पर इतनी तेजी से चला, जैसे उसमें बिजली सीरफ्तार आ गई हो। हाथ की तेजी ने पूरे प्याज को कुछ सेकंड में ही काट दिया था। यह देखकर कैथरीन घबरा गई और उसके हाथ से चाकू छूट गया साथ ही उसकी चीख भी निकल गयी।

“क्या हुआ कैथरीन?” उसके पापा ने, जो कि अपने कमरे से भागते हुए आये थे, पूछा।

“पापा...पापा...वो” कैथरीनघबराहट के मारे आगे बोल नहीं पायी।

मि.जेसन धीरे से कैथरीन को रसोई से बाहर ले आये, उसे सोफे पर बैठाकर, पानी पिलाया और पाँच मिनट तक उसे शांत होने दिया फिर धीरे से पूछा“अब तुम ठीक तो हो बेटा, क्या हुआ था?”

कैथरीन ने रसोई में घटी पूरी घटना को बताया और फिर पापा को देखने लगी।

पापा के चेहरे के भाव फिर उड़ने से लगे थे। कभी घबराहट तो कभी क्रोध या फिर कभी उलझन के भाव उनके चेहरे पर लगातार आ-जा रहे थे। कैथरीन शायद यह तुम्हारा वहम है, इस बारे में किसी को कुछ न बताना वरना लोग तुम्हें पागल समझेंगे।” पापा ने पूरी बात एक बार में कही जिस में हर संभावना और निष्कर्ष का मिश्रण था।

“नहीं पापा वो मेरा वहम नहीं था। मैं पागल नहीं हूँ। मैं एक बार फिर ऐसा कर सकती हूँ शायद।” कैथरीन ने बिना रूके पापा सेकहा और उन की तरफ देखने लगी।

“कोई जरूरत नहीं है, बस योगा किया करो और इस बात को, मेरा मतलब इस वहम को भूल जाओ। खाना मैं जाकर बनाता हूँ। तुम आराम करो।” पापा ने कैथरीन से कहा औरघबराई हुई बेटी के सिर पर हाथ रखा फिर रसोई की तरफ चल पड़े।

कैथरीन अगले दो मिनट तक वहीं मूर्ति बनी रही। फिर उसने अपना नज़र का चश्मा कोने में रखी हुई टेबल पर रखा और आँखें बंद करके अपने साथ हुई इस घटना और पापा के विचित्र व्यवहार के बारे में सोचने लगी।

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    अनुक्रम

  1. अनुक्रमणिका

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