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मिस आर - आरंभ

दिशान्त शर्मा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 15962
आईएसबीएन :978-1-61301-699-2

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भारत  की  पहली  महिला  सुपर हीरोइन ‘मिस -आर' जो खुद एक बलात्कार पीड़िता और एसिड पीड़िता है लेकिन उसकी ‘औरा पावर’ ने उसे एक नया अवतार दिया है। वो खुद की और लोगों की मदद करना चाहती है...

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यात्रा और भ्रम

अगले कुछ दिन बिना किसी अजीब घटना के ही बीतते चले गये। कैथरीन घर पर ही अपनी आगामी परीक्षाओं की तैयारी में लगी हुई थी औरमि. जेसन अपनी यात्रा की तैयारी कर रहे थे। मि.जेसन 30 अप्रैल की दोपहर को जाने वाले थे लेकिन उनकी इस यात्रा से कैथरीन चिढ़ी हुई थी। क्योंकि इस यात्रा का गंतव्य स्थान, यात्रा की वजह और थाँमस अंकल तीनों ही उसके लिए एक अबूझ पहेली बने हुए थे।

“बेटा कल 30 तारीख है। मैं दोपहर को निकल जाँऊगा, अंकल के गाँव में नेटवर्क की समस्या है इसलिए काल न लगे तो तुम चिंता मत करना। मैं 8 तक वापस आ जाऊँगा।” 29 की शाम को पापा ने कैथरीन से कहा जो कि अपनी भौतिक विज्ञान की किताब में सिर डाले हुए बैठी थी।”ठीक है पापा, हैप्पी जर्नी।”कैथरीन ने अपनी उदासी छिपाने की नाकाम कोशिश की।

“उदास मत हो बेटा, मैं जल्दी ही आ जाऊँगा। वैसे बेटा तुम्हारी पहली परीक्षा 3 मई की है न?” पापा ने प्यार से पूछा। “जी पापा, 3 मई को फिजिक्स का ही पेपर है।”कैथरीन ने कहा।

“बेटा,मेरी गैर-मौजूदगी में अपना ख्याल रखना और मेरे कमरे के संदूक और डायरी को छेड़ने की कोशिश मत करना। वादा करो कि तुम उन्हें नहीं छेड़ोगी।”कैथरीन ने कहा, “पापा, मैं उन्हें नहीं छेडूँगी। वैसे भी उसमें मुझे कोई दिलचस्पी नहीं है।”“ठीक है मेरी प्यारी बच्ची।”मि.जेसन ने मुस्कुराते हुए कहा।

“पापा क्या मैं एक सप्ताह के लिए वीणा को रहने को बुला लूँ?इससे मुझे बोरियत भी नहीं होगी। वो 1तारीख से रहने आ जाएगी, अभी तो वह गाँव गई हुई है।”

2 मिनट तक तो पापा बिना कुछ बोले सोचते रहे, फिर बोले, “ठीक है, बुला लो, लेकिन उसे भी मेरी चीजों से दूर रखनाबेटा।”

“ओके पापा” कैथरीन चहकती हुई पापा के गले लग गई।

अगली दोपहर को पापा चले गये औरजाते-जाते उन्होंने कैथरीन को फिर एक बार खुद का और घर का ख्याल रखने को कहा। दूसरी तरफ कैथरीन ने वीणा को रहने के लिए बुला लिया था। परंतु वीणा कल दोपहर को आने वाली थी, तब तक के लिए कैथरीन को अकेले ही घर में रहना था।

दोपहर से शाम तक का समय तो कैथरीन ने पढ़ाई करते हुए काट लिया था। शाम को उसने अपनी पसंद का खाना. भिण्डी की सब्जी और रोटी बनाकर खाया। खाना खाने के बाद से कैथरीन को खाँसी आ रही थी तो उसने कफ सिरप पीने का मन बनाया लेकिन फिर सोचा“यार पीलूँ या रहने दूँ। इससे मुझे गहरी नींद आती है। वैसे मैं अगर सो भी गई तो क्या, तैयारी तो हो ही गई है। तबीयत के साथ रिस्क ठीक नहीं है, ले ही लेती हूँ।”कैथरीन हाथ में शीशी को पकड़े-पकड़े ही सोचती रही फिर पीने का निश्चय करके उसने 2 चम्मच दवाई पी ली और आँगन में रखे सोफे पर बैठकर फिर पढ़ाई शुरू कर दी।

रात 10 बजे के करीब बाहर से बिजली कड़कड़ाने और बादल गरजने की आवाज आने लगी। एकाएक बाहर बारिश का मौसम बन गया था। कैथरीन इन सब बातों से अंजान सोफे पर ही लुढ़क कर सो रही थी और किताब एक कोने में उल्टी पड़ी हुई थी। रात भर बरसात होती रही और बिजली भी गुल रही थी। कैथरीन की आँख सीधे सुबह ही खुली, लेकिन एक और विचित्र घटना के साथ।

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    अनुक्रम

  1. अनुक्रमणिका

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