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मिस आर - आरंभ

दिशान्त शर्मा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 15962
आईएसबीएन :978-1-61301-699-2

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भारत  की  पहली  महिला  सुपर हीरोइन ‘मिस -आर' जो खुद एक बलात्कार पीड़िता और एसिड पीड़िता है लेकिन उसकी ‘औरा पावर’ ने उसे एक नया अवतार दिया है। वो खुद की और लोगों की मदद करना चाहती है...

कैथरीन ने आँखें खोली, अँधेरे में हाथ से टटोल कर चश्मा पहना और हैरानी से आस-पास देखा। वो इस समय सोफे पर नहीं थी बल्कि अपने कमरे में बिस्तर पर थीलेकिन हल्के सिरदर्द के साथ। वो यहाँ कैसे आई? इसका जवाब पाने के लिए कैथरीन ने सिर पर हाथ रखा और याददाश्त पर जोर डालने लगी। काफी देर याद करने पर जो कैथरीन को याद आया, शायद वो याद आने के लायक नहीं था। कैथरीन को आखिरी याद यह थी कि, रात के शायद 2-3 बज रहे थे और अचानक घर की बत्ती चली गई थी। बाहर से बारिश के साथ तूफान जैसी आवाज आ रही थी। इसी शोर से कैथरीन की आँख खुल गयी थी। उसने चश्मा पहना और सोफे से उठ खड़ी हुई तथा मोमबत्ती कहाँ पर है? यहयाद करने लगी। उसे याद आया कि एक मोमबत्ती रसोई के आले में रखी हुई है। वो टटोलते-टटोलते रसोई में गई। उसने मोमबत्ती ढूँढ़ी, और उसे जलाया ही था कि कैथरीन को आँगन में कोई आहट-सी सुनाई दी। वो इस समय डर और आश्चर्य का मिला-जुला अनुभव कर रही थी, कैथरीन ने रसोई में पास पड़े चाकू को उठाया और मोमबत्ती की रोशनी में आँगन में रखे सोफे की तरफ बढ़ी। सोफे के पास खड़े होकर देखने की कोशिश करने लगी कि आस पास कोई है या नहीं? तभी कैथरीन की नजर आँगन में कोने कीअँधेरे में डूबी हुई खिड़की पर गई। अचानक बाहर बिजली कड़की उसकी रोशनी में कैथरीन को जो कुछ नजर आया वो अत्यधिक भयावह था। खिड़की के पास दो आकृतियाँ खड़ी थींजिनके हाथों में कुछ चमकदार हथियार थे जो बड़ी तलवार जैसे लग रहे थे। दोनों आकृतियों ने बडे आकार के लबादे जैसे वस्त्र पहने हुए थे जो उनके सरों को ढँके हुए थे, पंरतु उन दोनों के हाथ ढके हुए नहीं थे। उनके हाथो में से जैसे कुछ टपक रहा था, कुछ काला द्रव्य जैसा, जो फर्श पर गिरते ही अंगारों जैसा प्रकाश उत्पन्न करता था। इस दृश्य को देखकर कैथरीन को लगा कि उसकी आवाज हमेशा के लिए जा चुकी है और हाथ पैरों की स्थिति किसी निर्जीव प्राणी जैसी हो गई है। स्थिति तब और भयावह हो गई, जब वे दोनों आकृतियाँ धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगीं। उन दोनों के हाथों से काला द्रव्य अभी भी टपक रहा था और उनके आगे आने पर एक जली हुई चमड़ी जैसी बदबू भी महसूस होने लगी थी।

कैथरीन को लग रहा था कि वो शायद मर चुकी है और यह मौत के बाद की स्थिति है। हालात लगातार डरावने होते जा रहे थे। वो दोनों धीरे-धीरे आगे ही बढ़ते आ रहे थे और अब उन्होंने धीरे-धीरे कुछ बोलना भी शुरू कर दिया था। वो दोनों जैसे एक सुर में मंत्र जैसा जप रहे थेऔर दोनों “रे स र sssमा sss”, “रे स र sssमा sss” जैसा कुछ कह रहे थे। उनके इन शब्दों का अर्थ कैथरीन के लिए बिल्कुल अंजाना था। कैथरीन को लगने लगा था कि आज उसकी मौत तय है। अब वो कभी-भी अपने पापा और वीणा से नहीं मिल सकेगी। शायद अब वो अपनी अनदेखी माँ से ही मिल सकेगी जो कि इस दुनिया में नहीं है। अचानक कैथरीन के पीछे कोई आहट हुई और एक हाथ का स्पर्श कैथरीन को अपने सिर पर महसूस हुआ। उस स्पर्श से कैथरीन की आँखे बोझिल होकर बंद होने लगी थीं। उसे बेहोशी का एहसास होने लगा था और एकाएक कैथरीन सोफे पर गिर सी गयी। उस के हाथों से मोमबत्ती और चाकू फर्श पर गिर गये, मोमबत्ती गिरते ही बुझ गयी थी।

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    अनुक्रम

  1. अनुक्रमणिका

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