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उपन्यास >> शेरसवारी

शेरसवारी

सुरेन्द्र मोहन पाठक

प्रकाशक : मनोज पब्लिकेशन प्रकाशित वर्ष : 2001
पृष्ठ :303
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 16200
आईएसबीएन :0

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विमल सीरीज - 34

साथ में झामनानी के मेहमानों की लिस्ट को-जो कि उसने डी.सी.पी. श्रीवास्तव को बना कर दी थी-उनकी सलामती की एक कमजोर कड़ी तसलीम किया जाता है क्योंकि लिस्ट में दर्ज दो मेहमानों से-जिनमें से एक साधूराम मालवानी था-झामनानी सम्पर्क नहीं कर सका था और उन्हें अपने हक में गवाही देने के लिये पट्टी नहीं पढ़ा सका था। झामनानी उस बाबत फौरन कुछ करने का वादा करता उसी रोज-यानी कि बुधवार सत्रह मई को-मुम्बई में बिलाल नाम का एक आदमी होटल सी-व्यू की लॉबी में बम प्लांट करने की कोशिश करता है लेकिन होटल के सिक्योरिटी चीफ तिलक मारवाड़े के खास आदमी पवन डांगले की मुस्तैदी और चौकन्नेपन की वजह से पकड़ा जाता है। पूछे जाने पर वो अपने आपको भाड़े पर उठने वाला भीड़ बताता है जिसने कि दो लाख रुपये की फीस की एवज में जेकब परदेसी से वो काम पकड़ा था, जेकब परदेसी इनायत दफेदार करके बड़े बाप का खास आदमी था और खुद दफेदार आगे 'भाई' का खास आदमी था। वो आगे बताता है कि उसे आधा रोकड़ा मिलना अभी बाकी था जो कि दगड़ी चाल के एक ईरानी रेस्टोरेंट में जेकब परदेसी उसे देता। उसे जेकब परदेसी से मिलने जाने के लिये रिहा कर दिया जाता है और इरफान, विक्टर, बुझेकर और पिचड़ के साथ उसकी निगरानी में लग जाते हैं। परदेसी का एक और आदमी जमीर मिर्ची परदेसी को पहले ही खबर कर देता है कि काम नहीं हुआ था, बिलाल पकड़ा गया था और अब वो दगड़ी चाल ले जाया जा रहा था। परदेसी ऐन इरफान वगैरह की नाक के नीचे बिलाल का कत्ल कर देता है। तदोपरान्त इरफान बुझेकर, पिचड़ और विक्टर को परदेसी का कोई पता निकालने के लिये उधर ही छोड़ कर होटल लौट आता है।

दिल्ली में झामनानी का खास आदमी मुकेश बजाज सस्पेंड हुए इन्स्पेक्टर नसीबसिंह से पहाड़गंज थाने के परिसर में ही स्थित उसके फ्लैट में जाकर मिलता है और करोड़ रुपये की अदायगी के बदले में झामनानी के माल की-छ: किलो हेरोइन की-सुपुर्दगी की मांग करता है। नसीबसिंह उसे अपनी कड़ी निगरानी की बात बताता है और कहता है कि उन हालात में वो न रकम कुबूल कर सकता था न माल-जो कि उसने छतरपुर में फार्म के करीब के एक खंडहर में छुपाया हुआ था-डिलीवर कर सकता था, उसके पास इतनी बड़ी रकम या माल पकड़ा जाता तो झामनानी गिरफ्तार होकर रहता। बजाज नसीबसिंह को झामनानी का वास्ता देकर धमकाता है और कैसे भी फौरन हेरोइन की सुपुर्दगी की मांग करता है तो नसीबसिंह उसे उलटा धमकाने लगता है कि अगर उसके साथ पंगा लिया गया तो वो तमाम बिरादरीभाइयों के खिलाफ अप्रूवर बन जायेगा जिसकी कि उसके डी.सी.पी. की उसे ऑफर भी थी।

बजाज वो खबर झामनानी तक पहुंचाता है तो झामनानी बहुत लाल पीला होता है, तब बजाज उसे सलाह देता है कि क्योंकि नसीबसिंह इतना तो कुबूल कर ही चुका था कि हेरोइन छतरपुर के करीब के खंडहरों में से किसी में छुपी हुई थी इसलिये खुद वो उसे तलाश करने की कोशिश कर सकते थे। उस काम को अंजाम देने के लिये बजाज उन आदमियों को इकट्ठा करने की पेशकश करता है जो कि मुबारक अली के भड़काये उसे दगा देकर भाग गये थे और ऐसे पचास आदमियों में से ग्यारह को बहला फुसला कर, 'झामनानी खता माफ कर देगा, उजरत बढ़ा देगा' का झांसा देकर वापिस बुला लाने में वो कामयाब भी हो जाता है।

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