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उपन्यास >> शेरसवारी

शेरसवारी

सुरेन्द्र मोहन पाठक

प्रकाशक : मनोज पब्लिकेशन प्रकाशित वर्ष : 2001
पृष्ठ :303
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 16200
आईएसबीएन :0

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विमल सीरीज - 34

उसी रोज मुम्बई में नीलम और सूरज होटल सी-व्यू के टॉप फ्लोर के अपने सुइट से गायब पाये जाते हैं-बावजूद सख्त निगरानी के गायब पाये जाते हैं। इरफान के-जिसके सिर निगरानी के इन्तजाम की जिम्मेदारी होती है-छक्के छूट जाते हैं। सख्त पूछताछ के बाद उस वारदात के लिये फ्लोर वेटर गोविंद भाटे को जिम्मेदार पाया जाता है जिसने कि बैडरूम का एक कार्पेट बदलने के लिये हाउसकीपिंग स्टाफ को उधर आने दिया था और जरूर वो ही पुराने कार्पेट में लपेट कर नीलम और बच्चे को वहां से निकाल ले गये थे। आगे हाउसकीपर से तफ्तीश होती है तो मालूम होता है कि उसके पास कार्पेट बदलने की कोई डिमांड नहीं आयी थी। लिहाजा वो बाहर से आये आदमी थे जो कि गोविन्द भाटे की मदद से-जिसने बाद में कुबूल किया था कि वो 'कम्पनी' का प्यादा था-अगवा की उस वारदात को अंजाम देने में कामयाब हुए थे।

लेकिन अगवा की वारदात को झुठलाती नीलम की एक चिट्ठी बरामद होती है जो वो विमल के नाम बैडरूम में छोड़ कर गयी होती है और जिसके मुताबिक क्योंकि वो विमल के पांव की बेड़ियां नहीं बनना चाहती थी, इसलिये वो खुद उसे छोड़ कर किसी नामालूम जगह के लिये रुख्सत हो गयी होती है। लेकिन वो बात सम्भव नहीं थी क्योंकि जान से जाने से पहले भाटे खुद कुबूल कर चुका होता है कि इनायत दफेदार के हुक्म पर उसने अगवा के ड्रामा को स्टेज करने और कामयाब बनाने में मदद की थी। नतीजतन यही फैसला होता है कि वो चिट्ठी नकली थी ताकि अगवा के नाम पर विमल तड़प न जाता, आग बबूला न हो उठता। फिर भी अगवा हुआ था तो कोई मांग भी पेश हो के रहती जिसके इन्तजार में फिलहाल खामोश रहा जा सकता था।

इनायत दफेदार 'भाई' के प्रतिनिधि के तौर पर तारदेव में स्थित ओरियन्टल होटल्स एण्ड रिजॉर्ट्स के ऑफिस में पहुंचता है, चेयरमैन रणदीवे से मिलता है और उसे बोलता है कि 'भाई' होटल पर कब्जा मांगता था इसलिये वो लोग राजा साहब से हुई ओरियन्टल की लीज को कैंसल करके दो दिन में होटल 'भाई' के हवाले करने का इन्तजाम करें वर्ना 'भाई' का कहर उन पर और ओरियन्टल के तमाम डायरेक्टर साहबान पर टूट कर रहेगा। रणदीवे दफेदार को डांट कर भगा देता है लेकिन भाई' की धमकी से निर्लिप्त नहीं रह पाता। वो उस बाबत पुलिस कमिश्नर जुआरी से बात करता है तो उसकी सुरक्षा के लिये एक गनर मुहैया करा दिया जाता है जो कि उसे कोई खास तसल्ली नहीं देता। नतीजतन वो ओरियन्टल के राजेश जठार और मोहसिन खान नामक दो डायरेक्टर साहबान को साथ लेकर राजा साहब से मिलने के लिये होटल सी-व्यू पहुंचता है।

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