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लज्जा

तसलीमा नसरीन

प्रकाशक : वाणी प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :184
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2125
आईएसबीएन :9789352291830

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प्रस्तुत उपन्यास में बांग्लादेश की हिन्दू विरोधी साम्प्रदायिकता पर प्रहार करती उस नरक का अत्यन्त मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया गया है...


'सदरघाट कालीबाड़ी, गोपाल पहाड़ श्मशान मंदिर पर भी हमला हुआ। जमालखान रोड और सिराजुद्दौला रोड में दुकानों की तोड़फोड़ हुई। एनायेड बाजार, के. सी. दे रोड ब्रिकफील्ड रोड के हिन्दुओं की दुकानों और घरों को लूट कर आग लगा दी गयी। कैवल्यधाम के मनीपाड़ा में अड़तीस घरों को, सदरघाट जेलेपाड़ा में सौ से अधिक घरों को लूटा गया और आग लगा दी गयी। ईदगाँव आग्राबाद जेलेपाड़ा और बहद्दारहाट की मैनेजर कालोनी में लूटपाट की गयी व तोड़ डाला गया। सबसे। भयानक घटना मीरेरसाई और सीताकुण्ड में घटी है। मीरेरसाई के सातबाड़िया गाँव में पचहत्तर परिवारों को, मसदिया यूनियन के दस परिवारों को, हादीनगर में चार परिवारों को, बेशर में सोलह परिवारों व तीन मन्दिरों को, उदयपुर में बीस परिवारों को, खाजुरिया के बारह परिवारों को, जाफराबाद में सत्ताईस परिवारों को हमले का शिकार बनाया गया है। उनके घरों को लूटकर, तोड़-फोड़कर आग लगा दी गयी। सीताकुण्ड के मुरादपुर यूनियन के एक परिवार, बारइया के ढाला यूनियन के महालंका गाँव में तेइस परिवार, बहरपुर के अस्सी परिवार, बारईपाड़ा के तीन सौ चालीस परिवार समेत नारायण मन्दिर, बाँसबाड़िया के बाहर परिवार, बाड़बकुण्ड के सत्रह परिवार व दो मन्दिर और फरहादपुर के चौदह परिवारों पर हमला हुआ। लूटपाट हुई और आग लगा दी गयी।

‘और कितना सुनूँगा दिलीपदा! अब और अच्छा नहीं लग रहा है।'

'क्या तुम अस्वस्थ हो सुरंजन? तुम्हारी आवाज कुछ असामान्य लग रही है।'

'कुछ समझ में नहीं आ रहा!'

फोन रखते ही पुलक ने कहा देवव्रत का हाल-चाल पूछो तो सुरंजन देवव्रत, महादेव भट्टाचार्य, असितपाल, सजलधर, माधवी घोष, कुन्तला चौधरी, सरल दे, रवीन्द्र गुप्त, निखिल सान्याल, निर्मलसेन गुप्त सभी को एक-एक करके फोन करता है। सबसे पूछता है, 'अच्छे तो हैं!' काफी दिनों बाद कई परिचितों के साथ इकट्ठे बातें हुईं। एक तरह की आत्मीयता का भी अनुभव किया।

‘क्रि क्रि....' फोन की घंटी बजी। सुरंजन के कान में वह आवाज 'प्रिंटिं करती लगी। उसे बुरा लग रहा था। पुलक का फोन है काक्सबाजार से। फोन की बातें खत्म कर पुलक ने कहा, 'काक्सबाजार में जमात शिविर के लोगों ने राष्ट्रध्वज जला दिया है।'

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