लोगों की राय

जीवन कथाएँ >> लज्जा

लज्जा

तसलीमा नसरीन

प्रकाशक : वाणी प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :184
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2125
आईएसबीएन :9789352291830

Like this Hindi book 8 पाठकों को प्रिय

360 पाठक हैं

प्रस्तुत उपन्यास में बांग्लादेश की हिन्दू विरोधी साम्प्रदायिकता पर प्रहार करती उस नरक का अत्यन्त मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया गया है...


'माया नहीं लौटी?' सुरंजन अचानक खड़ा हो जाता है।

'नहीं!'

'क्यों नहीं लौटी वह?' अचानक सुरंजन चिल्लाता है। किरणमयी अवाक् रह जाती है। नम्र स्वभाव का यह लड़का, इससे पहले कभी इतनी ऊँची आवाज में नहीं बोला। आज अचानक चीखकर क्यों बोल रहा है। माया पारुल के घर गयी है, यह कोई बहुत बड़ा अपराध तो नहीं है! बल्कि इससे काफी निश्चिंत रहा जा सकता है। हिन्दू का घर जब लूटने आयेंगे तो माया के अलावा उन्हें इस घर में और कोई सम्पत्ति नहीं मिलेगी। लड़कियों को तो लोग सोना-चांदी की तरह ही समझते हैं!

सुरंजन पूरे कमरे में बेचैन टहलता रहा। वोला, 'मुसलमानों के प्रति उसका इतना विश्वास क्यों है? कितने दिनों तक वे उसे बचायेंगे?'

किरणमयी समझ नहीं पा रही थी कि सुधामय बीमार हैं, इस वक्त डॉक्टर बुलाना चाहिए। और, ऐसी स्थिति में माया क्यों मुसलमान के घर गयी है, बेटा इस बात पर बिगड़ रहा है!

सुरंजन बड़बड़ाता है, 'डाक्टर बुलाना होगा, इलाज खर्च कहाँ से आयेगा, बताओ तो जरा? मुहल्ले के दो रत्ती भर लड़कों ने उन्हें डराया और डर के मारे दस लाख रुपये का मकान दो लाख में बेच कर यहाँ चले आये। अब भिखारी की तरह जीने में शर्म नहीं आती!'

'क्या सिर्फ लड़कों के डर से घर बेचा था? घर को लेकर मुकदमे का झमेला भी तो कम नहीं था।' किरणमयी ने जवाब दिया।

बरामदे में एक कुर्सी रखी हुई थी। सुरंजन ने उसे लात मारकर गिरा दिया।

'लड़की गयी है मुसलमान से शादी करने! सोचा है मुसलमान लोग उसे बैठाकर खिलायेंगे! लड़की रईस होना चाहती है!'

वह घर से निकल जाता है। मुहल्ले में दो डाक्टर हैं। हरिपद सरकार टिकाटुली के मोड़ पर हैं, और दो मकान छोड़कर अमजद हुसैन। वह किसे बुलायेगा? सुरंजन बेमन से चलता रहा। माया घर नहीं लौटी, इस वात पर जो वह चिल्लाया तो क्या माया के न लौटने की वजह से या फिर मुसलमानों के ऊपर उसका इतना भरोसा

देखकर! क्या सुरंजन थोड़ा-थोड़ा कम्युनल हो उठा है? उसे अपने पर संदेह होता है। वह टिकाटुली के मोड़ की तरफ जाता है।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book