जीवन कथाएँ >> लज्जा लज्जातसलीमा नसरीन
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प्रस्तुत उपन्यास में बांग्लादेश की हिन्दू विरोधी साम्प्रदायिकता पर प्रहार करती उस नरक का अत्यन्त मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया गया है...
सुरंजन पूरे कमरे में बेचैन होकर टहलता रहा। भारत में मृतकों की संख्या साढ़े छह सौ पार कर गयी है। पुलिस ने आठ साम्प्रदायिक नेताओं को गिरफ्तार किया है। इनमें भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी और एल. के. आडवाणी भी है। बाबरी मस्जिद तोड़े जाने के विरोध में सारे भारत में 'बंद' आयोजित हुआ है। बम्बई, राँची, कर्नाटक, महाराष्ट्र में दंगे चल रहे हैं, लांग मर रहे हैं। उग्र हिन्दू साम्प्रदायिकों के प्रति घृणा से सुरंजन मुट्ठियाँ भींचता है। उसका वश चले तो वह दुनिया के सभी साम्प्रदायिक कट्टरपंथियों को एक लाइन में खड़ा करके 'बस फायर' कर दे! इस देश का साम्प्रदायिक दल मुँह से कह तो रहा है कि 'बाबरी मस्जिद के विध्वंस के लिए भारत सरकार दोषी है और इसके लिए बांग्लादेश के हिन्दू उत्तरदायी नहीं हैं। बांग्लादेश के हिन्दू और मंदिरों के प्रति हमारी कोई नाराजगी नहीं। हमें इस्लामिक चेतना से जाग्रत होकर साम्प्रदायिक सद्भाव की रक्षा करनी होगी।' साम्प्रदायिक दल का बयान रेडियो, टेलीविजन, अखबार द्वारा प्रचारित किया जा रहा है। लेकिन चाहे मुँह से वह कुछ भी बोले, सारे देश में हड़ताल के दिन मस्जिद तोड़े जाने के विरोध के नाम पर जो तांडव, जो उत्पाद मचाया गया, उसे न देखने पर किसी को यकीन नहीं आयेगा। विरोध के बहाने इकहत्तर के देश घातकों ने घातक दलाल निर्मूल कमेटी का कार्यालय, यहाँ तक कि कम्युनिस्ट पार्टी का कार्यालय भी तोड़-फोड़ दिया और आग लगा दी। आखिर क्यों? जमाते इस्लामी के एक प्रतिनिधि मंडल ने भारतीय जनता पार्टी के नेता से भेंट की। उनके बीच क्या बातें हुई होंगी? क्या चर्चा, क्या षड्यंत्र हुआ होगा? सुरंजन इसका अनुमान लगा सकता है, पूरे उपमहादेश में धर्म के नाम पर जो दंगा-फसाद शुरू हुआ है, अल्पसंख्यकों के ऊपर जो नृशंस अत्याचार हो रहा है, सुरंजन खुद उनमें से एक होने के कारण उस नृशंसता और भयावहता से भली-भाँति परिचित है। बोस्निया, हारजेगोविनिया की घटना के लिए जिस तरह बांग्लादेश का कोई क्रिश्चियन नागरिक उत्तरदायी नहीं है, उसी तरह भारत की किसी दुर्घटना के लिए बांग्लादेश का हिन्दू नागरिक भी उत्तरदायी नहीं है। लेकिन ये बातें सुरंजन किसे समझायेगा!
हैदर ने कहा, 'चलो-चलो, तैयार हो जाओ! 'मानव-बंधन' में जाना है। मानवबंधन मुक्तियुद्ध की चेतना को वास्तविक रूप देने और स्वाधीनता के सार्वभौमत्व के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय एकता-इकहत्तर के युद्ध अपराधी सहित सभी साम्प्रदायिक फासिस्ट शक्तियों के विरुद्ध राष्ट्रीय एकता, साम्प्रदायिकता के विरुद्ध क्षेत्रीय सौहार्द्र और विश्व बन्धुत्व को लक्ष्य मानकर विश्व मानवता के लिए एकता के प्रतीक के रूप में राष्ट्रीय समन्वय कमेटी के आह्वान पर पूरे देश में 'मानव-बंधन' आयोजित किया जा रहा है।
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