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आचार्य श्रीराम शर्मा >> अन्त्याक्षरी पद्य-संग्रह

अन्त्याक्षरी पद्य-संग्रह

श्रीराम शर्मा आचार्य

प्रकाशक : श्रीवेदमाता गायत्री ट्रस्ट शान्तिकुज प्रकाशित वर्ष : 2001
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4136
आईएसबीएन :00000

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जीवन मूल्यों को स्थापित करने के लिए अन्त्याक्षरी पद्य-संग्रह

(ई )


ई जग जरते देखिया, अपनी-अपनी आग।
ऐसा कोई ना मिला, तिलौठी झारे लाग॥

ई मन चंचल ई मन चोर, ई मन शुद्ध ठगहार।
मन-मन करते सुर-नर मुनि, जहॅड़े मन के लक्ष्य दुवार॥

ई माया है चूहड़ी, और चुहेड़ों की जोय।
बाप पूत अरुझाय के, संग न कछु के होय॥

ईश्वर खुदा महाप्रभु, उस ईस को नमन है।
यह सृष्टि चर-अचर सब, उसका हरा चमन है॥

ईश्वर फकत तुम्ही हो, बिगड़ी बनाने वाले।
सुख के हो देने वाले, दुख के मिटाने वाले॥


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    अनुक्रम

  1. ज्ञ
  2. ट-ण

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