आचार्य श्रीराम शर्मा >> अन्त्याक्षरी पद्य-संग्रह अन्त्याक्षरी पद्य-संग्रहश्रीराम शर्मा आचार्य
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जीवन मूल्यों को स्थापित करने के लिए अन्त्याक्षरी पद्य-संग्रह
(ई )
ई जग जरते देखिया, अपनी-अपनी आग।
ऐसा कोई ना मिला, तिलौठी झारे लाग॥
ई मन चंचल ई मन चोर, ई मन शुद्ध ठगहार।
मन-मन करते सुर-नर मुनि, जहॅड़े मन के लक्ष्य दुवार॥
ई माया है चूहड़ी, और चुहेड़ों की जोय।
बाप पूत अरुझाय के, संग न कछु के होय॥
ईश्वर खुदा महाप्रभु, उस ईस को नमन है।
यह सृष्टि चर-अचर सब, उसका हरा चमन है॥
ईश्वर फकत तुम्ही हो, बिगड़ी बनाने वाले।
सुख के हो देने वाले, दुख के मिटाने वाले॥
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