लोगों की राय

आचार्य श्रीराम शर्मा >> आत्मीयता का माधुर्य और आनंद

आत्मीयता का माधुर्य और आनंद

श्रीराम शर्मा आचार्य

प्रकाशक : युग निर्माण योजना गायत्री तपोभूमि प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :56
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4187
आईएसबीएन :81-89309-18-8

Like this Hindi book 3 पाठकों को प्रिय

380 पाठक हैं

आत्मीयता का माधुर्य और आनंद


रेरी सीधा घोड़े की कोठरी में निहत्था घुस गया उसने पीठ और गरदन सहलाई और तीन घंटे तक उसके साथ बातें करते हुए दुलारता रहा। जब वह घोड़े के साथ उसकी गरदन के बाल पकड़े कोठरी से बाहर आया तो दर्शकों ने उसे जादूगर कहा, पर वह यही कहता रहा यदि प्रेम को जादू कहा जाए तो ही उसे जादूगर कहलाना मंजूर है। उसके पास कोई मंत्र-तंत्र नहीं है।

लार्ड डारचेस्टर इस सफलता पर भाव-विभोर हो गए। उन्होंने घोड़े को उपहार स्वरूप रेरी को भेंट किया और साथ ही एक बड़ी धन राशि भी दी। विदाई के अवसर पर लार्ड महोदय ने कहा, "यदि रेरी की नीति मनुष्य जाति ने अपनाई होती तो उससे ईसाई धर्म का वास्तविक उद्देश्य पूरा हो जाता।"

महारानी विक्टोरिया ने रेरी की ख्याति सुनी तो उन्होंने भी उसकी कला देखने की इच्छा प्रकट की। शाही निमंत्रण देकर उसे बुलाया गया। प्रदर्शन में रेरी के सामने एक ऐसा घोड़ा प्रस्तुत किया गया जो पहले तीन घुड़सवारों का कचूमर निकाल चुका था। रेरी उसकी कोठरी में निर्भयता पूर्वक घुस गया और सोलह मिनट बाद उस पर सवार होकर बाहर आया। दूसरे घोड़े को तो उसने दस मिनट में ही वशवर्ती कर लिया।

अब उसे एक अत्यंत खतरनाक ऐसे घोड़े का सामना करना था जिसने दो घुड़सवारों की पहले ही जान ले ली थी। रेरी घुड़साल में भीतर गया और भीतर से कुंदी बंद कर ली। साथ ही यह भी निर्देश दिया कि जब तक वह कहे नहीं तब तक कोई उसे छेड़ने या दरवाजा खोलने की कोशिश न करे।

घोड़ा अत्यधिक भयंकर था। महारानी सहित प्रतिष्ठित दर्शन रेरी के निहत्थे और एकाकी भीतर घुसने से बहुत चिंतित थे, पर वह घुसा सो घुसा ही रहा। जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा था अधीरता बढ़ती जा रही थी, जब पूरे तीन घंटे बीत गए और भीतर से कोई हलचल सुनाई न दी तो यही समझ लिया गया कि घोड़े ने रेरी को मार डाला। निदान दरवाजा तोड़ने का आदेश हुआ। भीतर जो कुछ देखा गया उससे सभी स्तब्ध रह गए। घोड़ा फूंस के ढेर पर सोया हुआ था और उसकी टाँग का तकिया लगाए रेरी भी खर्राटे भर रहा था। दोनों को नींद खुली। वे परम मित्र की तरह साथ-साथ अस्तबल से बाहर आए तो महारानी विक्टोरिया को अपनी आँखों पर विश्वास न हुआ। वे यह न समझ सकीं कि इतना ख्वार घोड़ा किस प्रकार इतनी जल्दी इतना नम्र बन सकता है।

रेरी ने अपनी कला का प्रदर्शन टैक्सास में किया जिसमें दूर-दूर के दर्शक और पत्रकार आए थे। उसके सामने चार ऐसे घोड़े पेश किए गए जो जंजीरों से कसे रहते थे और चारों ही अपने मालिकों का खून कर चुके थे। रेरी पौन घंटे सींखचे वाली कोठरियों में अकेला उनके साथ रहा और फिर चारों को अपने साथ खुले मैदान में ले आया। उसने घोड़ों को लेटने का आदेश दिया तो बिल्ली की तरह लेट गए। दर्शकों ने भारी हर्ष ध्वनि की।

एक बार तो उसने जंगली बारहसिंगों के एक जोड़े को पालतू कुत्तों जैसा बना लिया और वह उन्हें साथ लेकर प्रेम, दया और आत्मीयता के इस प्रत्यक्ष प्रभाव का प्रदर्शन करता हुआ गाँव-गाँव घूमा।

यों लोग उसे घोड़ों का शिक्षक या जादूगर भर मानते थे, पर वस्तुतः वह प्रेम का प्रयोक्ता मात्र था। जो कुछ उसने किया वह सिर्फ इसलिए कि सर्व साधारण को आत्मीयता की शक्ति का थोड़ा-सा आभास मिल सके। इस महान मंतव्य की शिक्षा देने के लिए वह देश-देश में घूमा और उसने सर्व साधारण को यही समझाया कि यदि प्रेम और करुणा की नीति को अपनाया जा सके तो न केवल सच्चे अर्थों में धर्मात्मा बना जा सकता है वरन् पारस्परिक विग्रह की समस्त समस्याओं को देखते-देखते सुलझाया जा सकता है।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. सघन आत्मीयता : संसार की सर्वोपरि शक्ति
  2. प्रेम संसार का सर्वोपरि आकर्षण
  3. आत्मीयता की शक्ति
  4. पशु पक्षी और पौधों तक में सच्ची आत्मीयता का विकास
  5. आत्मीयता का परिष्कार पेड़-पौधों से भी प्यार
  6. आत्मीयता का विस्तार, आत्म-जागृति की साधना
  7. साधना के सूत्र
  8. आत्मीयता की अभिवृद्धि से ही माधुर्य एवं आनंद की वृद्धि
  9. ईश-प्रेम से परिपूर्ण और मधुर कुछ नहीं

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai