आचार्य श्रीराम शर्मा >> आन्तरिक कायाकल्प का सरल किन्तु सुनिश्चित विधान आन्तरिक कायाकल्प का सरल किन्तु सुनिश्चित विधानश्रीराम शर्मा आचार्य
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आन्तरिक कायाकल्प का सरल विधान....
कहने को तो कर्मयोग स्थूल शरीर का, ज्ञानयोग सूक्ष्म शरीर का, भक्तियोग कारण शरीर का विषय कहा जाता है, किन्तु थोड़ा गहराई में उतरने पर प्रतीत होता है कि विभाजन की दृष्टि से बनी हुई इस त्रिविध क्रिया-प्रक्रिया का उद्गम स्रोत एक ही है-आस्था का परिष्कार। मशीन के दाँतों की तरह एक ही प्रेरणा से दूसरा घूमता है। दूसरे के दबाव से तीसरे में इलचल बन पड़ती है। आस्थाएँ ऊँची हों तो विचार-संस्थान को उनका अनुगमन करना होगा, विचारों का निर्देशन शरीर मानता है। उसे अपने कर्तव्य पालन से कभी विमुख नहीं देखा जाता। समूचे व्यक्तित्व का पवित्रीकरण-प्रखरीकरण ही अध्यात्म तत्वज्ञान एवं साधना विज्ञान का एक मात्र उद्देश्य है। उसी की पूर्ति के लिए विभिन्न प्रकार की दार्शनिक दिशा धाराओं का सृजन हुआ है।
ब्रह्मविद्या का विशाल कलेवर इसी प्रयोजन की पूर्ति के लिए तत्वदर्शियों ने सजा है। इसी प्रकार साधना विधान के अन्तर्गत क्रिया-प्रक्रियाओं का उद्देश्य एक ही है-देव जीवन की दृष्टि से हेय समझी जाने वाली मान्यताओं एवं आदतों का निराकरण तथा सदाशयता को स्वभाव में सम्मिलित करने का अभ्यास। पशु प्रवृत्तियों को बदलने के लिये जो भावना और प्रक्रिया का सम्मिलित पुरुषार्थ किया जाता है, उसी को साधना कहते हैंं। साधनाकाल में अपना चिंतन तथा व्यवहार ऐसा बनाना पड़ता है जिनके दबाव से व्यक्तित्व की गहन परतों में प्रविष्ठ अभ्यस्त आदतों में अभीष्ट परिवर्तन सम्भव हो सके।
भक्तियोग, ज्ञानयोग, कर्मयोग की त्रिवेणी में अवगाहन करने से ही आत्मिक प्रगति का पथ-प्रशस्त होता है। इन तीनों के स्वप्न देखते रहने से काम नहीं चलता। अध्ययन, श्रवण के माध्यम से मिलने वाले परामर्श इस दिशा में अग्रसर होने की प्रेरणा देते हैंं किन्तु इतने भर से पुराना ढाँचा-ढर्रा बदलता नहीं। वह गहरी परतों में अपनी जड़े जमाये बैठा रहता है। फलतः धर्मजीवी व्यक्ति तक हेय जीवन जीते देखे गये हैं। व्यक्तित्व के परिष्कार में साधना उपचार का दबाव पड़े बिना काम नहीं चलता। धातुओं को कोई रूप देना हो तो उसमें अग्निसंस्कार की अनिवार्य आवश्यकता पड़ेगी। साधना को एक प्रकार से ढाँचे का रूपान्तर कहा जा सकता है। इसके लिए साधना तपश्चर्या को आग-भट्टी के समतुल्य माना जा सकता है।
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