आचार्य श्रीराम शर्मा >> अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाए अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाएश्रीराम शर्मा आचार्य
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अध्यात्मवाद पर आधारित पुस्तक
भोगवादी प्रायः स्वार्थी तथा दूसरों के प्रति निरपेक्ष रहा करते हैं। घर में कोई बीमार है, दुःखी अथवा संतप्त है, किंतु दूसरे लोग उसकी उपेक्षा करके अपने मनोरंजनों में लगे रहते हैं। दूसरे का दुःख घटाना उनके सिद्धांत में ही नहीं होता। सुना जाता है कि अमेरिका तथा अन्य पाश्चात्य देशों में पति को मृत्यु शैय्या तक पर छोड़कर अपने मनोरंजन कार्यक्रमों में चली जाती है। रोगी माता-पिता को कराहता छोड़कर स्त्रियाँ संतानें दोस्तों के साथ संलग्न हो जाती हैं। कोई भी मनोरंजन के एक भी अवसर को किसी के लिए त्याग नहीं सकता। पूरा परिवार एक होते हुए भी सब एक-दूसरे से अलग रहा करते हैं। सुख में भले ही साथ दे दें, किंतु दुःख में कोई किसी को पूछता ही नहीं। साथ ही साधनों में किंचित कमी अथवा संपर्क में रंचमात्र नीरसता आते ही पति-पत्नी तथा प्रेमी-प्रेमिकायें संबंध विच्छेद कर लेते हैं। ऐसी दशा में न जाने कितने निराशा एवं मानसिक तनाव से प्रेरित होकर आत्महत्या कर लिया करते हैं।
अमेरिका जैसे संपन्न देश की जनता को भला आर्थिक कठिनाई क्या हो सकती है? और वास्तविक कठिनाई होती भी नहीं, किंतु भोगवाद का प्रदर्शनपूर्ण जीवन, स्पर्धापूर्ण रहन-सहन और अधिकाधिक की होड़ उनकी आवश्यकताओं को पूरा ही नहीं होने देती। एक कार से दो कार की कामना उन्हें गरीब अनुभव कराती है। कमरे-कमरे में रेडियो और ऊँचे-ऊँचे होटल, नाचघर अथवा मनोरंजन की हीसका उनकी आर्थिक कठिनाई को इस हद तक बढ़ा देती है कि जिसकी पूर्ति असंभव हो जाती है और व्यक्ति अपने को असफल समझकर जीवन से निवृत्त हो जाता है। आस-पास का भोग-वैभव से भरा कृत्रिम वातावरण उसे जीने ही कब देता है।
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- भौतिकता की बाढ़ मारकर छोड़ेगी
- क्या यही हमारी राय है?
- भौतिकवादी दृष्टिकोण हमारे लिए नरक सृजन करेगा
- भौतिक ही नहीं, आध्यात्मिक प्रगति भी आवश्यक
- अध्यात्म की उपेक्षा नहीं की जा सकती
- अध्यात्म की अनंत शक्ति-सामर्थ्य
- अध्यात्म-समस्त समस्याओं का एकमात्र हल
- आध्यात्मिक लाभ ही सर्वोपरि लाभ है
- अध्यात्म मानवीय प्रगति का आधार
- अध्यात्म से मानव-जीवन का चरमोत्कर्ष
- हमारा दृष्टिकोण अध्यात्मवादी बने
- आर्ष अध्यात्म का उज्ज्वल स्वरूप
- लौकिक सुखों का एकमात्र आधार
- अध्यात्म ही है सब कुछ
- आध्यात्मिक जीवन इस तरह जियें
- लोक का ही नहीं, परलोक का भी ध्यान रहे
- अध्यात्म और उसकी महान् उपलब्धि
- आध्यात्मिक लक्ष्य और उसकी प्राप्ति
- आत्म-शोधन अध्यात्म का श्रीगणेश
- आत्मोत्कर्ष अध्यात्म की मूल प्रेरणा
- आध्यात्मिक आदर्श के मूर्तिमान देवता भगवान् शिव
- आद्यशक्ति की उपासना से जीवन को सुखी बनाइए !
- अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाए
- आध्यात्मिक साधना का चरम लक्ष्य
- अपने अतीत को भूलिए नहीं
- महान् अतीत को वापस लाने का पुण्य प्रयत्न