आचार्य श्रीराम शर्मा >> अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाए अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाएश्रीराम शर्मा आचार्य
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अध्यात्मवाद पर आधारित पुस्तक
पवित्रता अध्यात्मवाद का पहला लक्षण है। शरीर को भगवान का मंदिर समझकर उसे सर्वथा पवित्र और स्वच्छ रखा जाए, आत्म-संयम और नियमितता द्वारा शरीर-धर्म का दृढ़तापूर्वक पालन करते रहा जाए तो शारीरिक संकट की संभावना ही न रहे। वह सदा स्वस्थ और समर्थ बना रहे। अपने अनियम और असंयम द्वारा भगवान् के इस पवित्र मंदिर को ध्वंस करने का अपराध भयानक पाप का कारण बनता है। शरीर भगवान् का मंदिर है।
उपरोक्त बात न तो कभी भूलनी चाहिए और न तविरोधी आचरण ही करना चाहिये। शरीर में आत्मा का निवास रहता है और आत्मा, परमात्मा का ही अंश होता है, इसलिए शरीर भगवान् का मंदिर ही है। जो व्यक्ति भगवान् के इस पवित्र मंदिर का समुचित संरक्षण एवं सेवा करता रहता है, उसके सामने शारीरिक समस्याएँ खड़ी नहीं होती। यदि संयोगवश खडी भी हो जाती है तो उनका शीघ्र ही समाधान हो जाता है। शरीर के विषय में आध्यात्मिक दृष्टिकोण रखने का सुफल आरोग्य होता है। जिसने नियमन एवं आत्म-संयम द्वारा आरोग्य की प्राप्ति कर ली, उसने मानो आत्मिक लक्ष्य की और एक मंजिल पार कर ली।
स्वास्थ्य और आरोग्य का संबंध पौष्टिक पदार्थों से जोड़ना भूल है। अधिक या अधिक पुष्टकर भोजन करने से न तो स्वास्थ्य बनता है और न आरोग्य की उपलब्धि होती है। इसका आधार हैआत्म-संयम एवं नियमितता। इसके प्रमाण में हमारे सामने ऋषियों-मुनियों का अनुकरणीय उदाहरण मौजूद है। खाद्य के नाम पर वे कतिपय फल और कंद-मूल आदि का ही प्रयोग किया करते थे। तथापि सदा स्वस्थ और निरोग-दीर्घजीवी बने रहते थे। उनके शरीर बड़े ही सुडौल, सुंदर और सामर्थ्यवान् होते थे। इसी क्षमता के बल पर ही तो वे बड़ी-बड़ी तपस्याएँ और साधनाएँ कर सकने में सफल रहा करते थे। यदि हम शरीर के विषय में आत्म-संयम, नियमितता और युक्ताहार, विहार का आध्यात्मिक दृष्टिकोण व्यवहार में लाते रहें तो शारीरिक समस्याओं का एक साथ समाधान हो जाए।
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- भौतिकता की बाढ़ मारकर छोड़ेगी
- क्या यही हमारी राय है?
- भौतिकवादी दृष्टिकोण हमारे लिए नरक सृजन करेगा
- भौतिक ही नहीं, आध्यात्मिक प्रगति भी आवश्यक
- अध्यात्म की उपेक्षा नहीं की जा सकती
- अध्यात्म की अनंत शक्ति-सामर्थ्य
- अध्यात्म-समस्त समस्याओं का एकमात्र हल
- आध्यात्मिक लाभ ही सर्वोपरि लाभ है
- अध्यात्म मानवीय प्रगति का आधार
- अध्यात्म से मानव-जीवन का चरमोत्कर्ष
- हमारा दृष्टिकोण अध्यात्मवादी बने
- आर्ष अध्यात्म का उज्ज्वल स्वरूप
- लौकिक सुखों का एकमात्र आधार
- अध्यात्म ही है सब कुछ
- आध्यात्मिक जीवन इस तरह जियें
- लोक का ही नहीं, परलोक का भी ध्यान रहे
- अध्यात्म और उसकी महान् उपलब्धि
- आध्यात्मिक लक्ष्य और उसकी प्राप्ति
- आत्म-शोधन अध्यात्म का श्रीगणेश
- आत्मोत्कर्ष अध्यात्म की मूल प्रेरणा
- आध्यात्मिक आदर्श के मूर्तिमान देवता भगवान् शिव
- आद्यशक्ति की उपासना से जीवन को सुखी बनाइए !
- अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाए
- आध्यात्मिक साधना का चरम लक्ष्य
- अपने अतीत को भूलिए नहीं
- महान् अतीत को वापस लाने का पुण्य प्रयत्न