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अभिज्ञान

नरेन्द्र कोहली

प्रकाशक : राजपाल एंड सन्स प्रकाशित वर्ष : 2010
पृष्ठ :232
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 4429
आईएसबीएन :9788170282358

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कृष्ण-सुदामा की मनोहारी कथा...


बारह वर्षों में किशोर कृष्ण समझ नहीं पाये थे कि माधवी उनकी बात से प्रसन्न क्यों नहीं हुई। उस पर जैसे उल्कापात हो गया था। चेहरे का वर्ण मलिन हो गया। लगा कि अभी रो देगी। और फिर बिना कुछ कहे, वह चली गयी। उसने कष्ण से कभी बात नहीं की। उससे कुछ दिनों बाद ही उसका विवाह भी हो गया था।

कृष्ण बड़े हो रहे थे। उनके मन में कुछ नये भाव जाग रहे थे। अपने प्रति गोपियों के आकर्षण को वे कुछ-कुछ समझने लगे थे, जब उन्हें वृन्दावन में, बरसाने से आयी वृषभानु की बेटी राधा मिली थी। राधा उनसे तीन-चार वर्ष बड़ी रही होगी। बड़ी आकर्षक और चंचल लड़की थी। जब आवश्यकता पड़ती, बड़े होने का रौब झाड़ लेती; और जब इच्छा होती, समवयस्क अथवा छोटी सखी बन कृष्ण से अपना अनुरोध मनवा लेती।

रास में राधा के साथ नाचते हुए कृष्ण ने पहली बार स्त्री-स्पर्श का रोमांच जाना

था। उन्हें पहली बार लगा था कि जो कृष्ण अब तक सबको प्यार करता था, वह कुछ बदल गया है। राधा के प्रति उसका आकर्षण सबके प्यार में नहीं समाता। राधा के साथ बातें करने का उनका मन होता है, पर भीड़ में नहीं। एक राधा ही है, जिसके साथ वे एकान्त चाहते हैं...पर राधा ने बड़े सहज भाव से उन्हें बता दिया था कि अय्यन गोप के साथ उसका विवाह होने वाला है। वह अय्यन की वाग्दत्ता है। अय्यन गोप कंस की सेना में एक साधारण सैनिक था और प्रायः मथुरा के किसी सैनिक पड़ाव में रहता था। जब कभी वह आयेगा, राधा का उससे विवाह हो जायेगा। अय्यन के माता-पिता और उसके कुटुम्बीजन वृन्दावन में ही थे; और वे लोग राधा की...अपने घर की बहू के रूप में खोज-खबर भी रखते थे...

कृष्ण ने अपनी भावना को वहीं रोक लिया था। इस कामना-लता को बढ़ने देने का कोई लाभ नहीं है। दूसरे की वाग्दत्ता...अच्छा किया, राधा ने आरम्भ में ही बता दिया। कहीं बात बढ़ जाती...

पर दूसरे की वाग्दत्ता होने का राधा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा था। वह उन बालसखियों के रूप में ही उनसे मिलती थी। सार्वजनिक रूप से नृत्य में सम्मिलित होती थी। कृष्ण को चिढ़ाती और खिजाती थी; पर एकान्त होते ही गम्भीर हो जाती थी। वह अपने मन की बहुत सारी बातें कृष्ण से करती थी। अपने घर की घटनाएं बताती थी। उसने कृष्ण से कह दिया था कि अय्यन के वृन्दावन में आते ही वह उसे कृष्ण से मिला देगी। वे दोनों तब भी मिला करेंगे। वह कृष्ण के घर आया करेगी, कृष्ण उसके घर जायेंगे...

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    अनुक्रम

  1. अभिज्ञान

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