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अभिज्ञान

नरेन्द्र कोहली

प्रकाशक : राजपाल एंड सन्स प्रकाशित वर्ष : 2010
पृष्ठ :232
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 4429
आईएसबीएन :9788170282358

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कृष्ण-सुदामा की मनोहारी कथा...


"क्या बात हुई?" सुशीला ने पूछा।

"कुछ विशेष नहीं।" बैठकर सुदामा अंगोछे से अपना मुंह-माथा पोंछते रहे।

"गुरुकुल की स्थापना की बात की?"

"हां! मैंने तो की।" सुदामा धीरे-से बोले, "पर ग्राम-प्रमुख को रुचि नहीं।"

"तो वह नहीं हो सकेगा?"

"नहीं।" "तो कैसे चलेगा?"

"जैसे अब तक चलता आया है।" सुदामा ने स्थिर कण्ठ से कहा।


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    अनुक्रम

  1. अभिज्ञान

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