पौराणिक >> अभिज्ञान अभिज्ञाननरेन्द्र कोहली
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कृष्ण-सुदामा की मनोहारी कथा...
"क्या बात हुई?" सुशीला ने पूछा।
"कुछ विशेष नहीं।" बैठकर सुदामा अंगोछे से अपना मुंह-माथा पोंछते रहे।
"गुरुकुल की स्थापना की बात की?"
"हां! मैंने तो की।" सुदामा धीरे-से बोले, "पर ग्राम-प्रमुख को रुचि नहीं।"
"तो वह नहीं हो सकेगा?"
"नहीं।" "तो कैसे चलेगा?"
"जैसे अब तक चलता आया है।" सुदामा ने स्थिर कण्ठ से कहा।
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- अभिज्ञान
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