श्रंगार-विलास >> अनायास रति अनायास रतिमस्तराम मस्त
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यदि रास्ते में ऐसा कुछ हो जाये जो कि तुम्हें हमेशा के लिए याद रह जाये तो...
इस बिलकुल ही बेकार की उलझन से झल्ला कर मैंने सोचा कि लंगोट को एक तरफ खिसका देते हैं। थोड़ी अड़चन होगी, पर इतना भी मुश्किल नहीं है। मैंने जीन्स को घुटनों तक खिसकाया, लंगोट को जितना खिंच सकता था, एक तरफ किया और करवट छोड़ कर, बायीं कोहनी का सहारा लेते हुए उसके ऊपर चढ़ गया। मैने अपनी दाहिनी कोहनी उसके बायें कंधे से थोड़ी दूर टिकाई। अब मेरे कंधों और सिर का भार मेरी दोनों कोहनियों पर था। हम दोनों के धड़ के निचले भाग एक दूसरे से मिले हुए थे। लेकिन अभी तक हम दोनों ने एक दूसरे में प्रवेश नहीं किया था। दो पहलवान अखाड़े में उतरने से पहले अखाड़े में गोल-गोल चक्कर काटकर एक दूसरे का अंदाजा ले रहे थे।
जब तक मैं लंगोट की सुरक्षा में था, मामला नियंत्रण में था, लेकिन अब जबकि हम दोनों के शरीर के सबसे संवेदनशील और कोमल भाग एक दूसरे से सीधे संपर्क करते हुए रगड़ खा रहे थे, तब मेरे मन में ख्याल आया कि इससे पहले कि इतनी उत्तेजना में कहीं ऐसा न हो कि मैं आते ही क्लीन बोल्ड हो जाऊँ, मुझे अपने आपको संभालना चाहिए। अपना विकेट मैं इतनी आसानी से गंवाने को तैयार नहीं था। जहाँ तक मेरा अंदाजा था, हम कम-से-कम आधे घण्टे से तो एक दूसरे के शरीरों के स्पर्श का आनन्द ले ही रहे थे। मैं भी लगभग उतनी ही देर से उत्तेजना का अनुभव कर रहा था, इसलिए यह तो स्वाभाविक ही था कि यदि संभाला नहीं, तो ऐसा भी संभव था कि हमारे शरीरों के एक दूसरे में प्रवेश करने से पहले ही मुझे स्खलन हो जाए।
अपने आपको संभालने के लिए यह आवश्यक था कि अपना ध्यान मैं अपनी खुद की उत्तेजना से हटाऊँ। मेरा वजन तो कोहनियों पर टिका था, लेकिन मेरी कलाइयाँ और हथेलियाँ इस समय बेरोजगार थीं। इसी उद्देश्य से मैंने उन्हें काम पर लगाया और अपनी दोनों हथेलियों का सहारा देकर उसके सिर को सहारा देते हुए पीछे से उठाया और अंदाजे से अपने ओठ उसके ओठों से भिड़ा दिये। असल में मेरा निशाना थोड़ा चूक गया, लेकिन उसने तुरंत मेरा मतलब समझते हुए अंधेरे में ही अपने ओठों को बिलकुल सही दिशा में करते हुए मेरे होठों से सटा दिया। पग-पग पर ऐसा लग रहा था कि उसने रात के अंधेरे में "इन्फ्रारेड गॉगल्स लगाए हुए हैं, और मैं अंधेरे में टटोलने के बाद भी बार-बार ठोकर खा रहा था।
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