लोगों की राय
श्रंगार-विलास >>
अनायास रति
अनायास रति
प्रकाशक :
श्रंगार पब्लिशर्स |
प्रकाशित वर्ष : 2020 |
पृष्ठ :50
मुखपृष्ठ :
ई-पुस्तक
|
पुस्तक क्रमांक : 4487
|
आईएसबीएन :1234567890 |
|
0
|
यदि रास्ते में ऐसा कुछ हो जाये जो कि तुम्हें हमेशा के लिए याद रह जाये तो...
ओठों के मिलन ने तो उल्टा गजब ही कर दिया। आग कम होने की बजाय भड़क उठी।
मैंने तुरंत वह राह छोड़ी। कुछ देर के लिए मैं बिलकुल स्थिर हो गया और
लंबी-लंबी साँसे लेने लगा। थोड़ा संयत होने के बाद मेरे मन में एक और विचार
आया। अभी तक उसके शरीर की जो यात्रा मैंने उंगलियों से की थी, उसे साँसो और
ओठों के स्पर्श से करूँ। मन ही मन अपने इस शानदार ख्याल पर मैं खुद को शाबाशी
देने लगा। आपने ध्यान दिया होगा कि अब तक मुझे आस-पास के लोगों की उतनी चिंता
नहीं रही थी। या तो यह हमारे ऊपर पड़ी आधी-अधूरी चादर का असर था, या फिर
उत्तेजना के आधिक्य ने मेरी सोचने-समझने की शक्ति कम कर दी थी।
खैर, इस बार उसके माथे से शुरुआत करते हुए उसके गालों को चूमा और एक दो बार
कानों को चुभलाया। गले पर दाँतो से हल्के से काटा और अपनी गर्म-गर्म साँसों
को उसके कुच के ऊपरी भाग पर छोड़ता रहा। वह लगभग कमानी की तरह तन गई थी। नाभि
के आस-पास पहुँचते-पहुँचते तो बवाल ही हो गया। उसकी त्वचा जैसे फुदकने लगी
थी। इतने देर बाद अब मुझे समझ में आ पाया कि वह किस प्रकार मेरे स्पर्श का
सुख ले रही थी।
...Prev | Next...
मैं उपरोक्त पुस्तक खरीदना चाहता हूँ। भुगतान के लिए मुझे बैंक विवरण भेजें। मेरा डाक का पूर्ण पता निम्न है -
A PHP Error was encountered
Severity: Notice
Message: Undefined index: mxx
Filename: partials/footer.php
Line Number: 7
hellothai