मनोरंजक कथाएँ >> अद्भुत द्वीप अद्भुत द्वीपश्रीकान्त व्यास
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जे.आर.विस के प्रसिद्ध उपन्यास स्विस फेमिली रॉबिन्सन का सरल हिन्दी रूपान्तर...
उस रमणीक स्थान पर पहुंचकर लगा मानो हम स्वर्ग मे आ गए हों। मैंने सोचा, यहां पेड़ों के ऊपर मचान जैसा घर बनाना और उसमें रहना तो उसी तरह है जैसे परियों के हवामहल में रहना। पेड़ों के ऊपर घर बनाने की बात से बच्चे भी बड़े खुश थे।
मैं और पत्नी तो सामान संभालने में लग गये और बच्चे इधर-उधर दौड़-दौड़कर चारों ओर के इलाके की छानबीन करने लगे। जानवरों को भी, उनके पिछले पैर बांधकर घास खाने के लिए छोड़ दिया गया।
कुछ ही समय बीता होगा कि बंदूक दगने की आवाज सुनकर मैं चौंक पड़ा। एक झुरमुट की ओर से फ्रिट्ज भागता हुआ चला आ रहा था। बंदूक उसके हाथ में थी और वह बड़ा ही खुश दिखाई दे रहा था। ''पापा...पापा...मैंने एक चीता मारा है,'' पास आकर उसने बताया। सुनकर मैं दंग रह गया। जाकर देखा तो सचमुच एक बहुत खूंखार चीता मरा पड़ा था। फ्रिट्ज का यह काम वास्तव में बडा ही साहसपूर्ण और शाबाशी का था।
छोटे-मोटे कामों से निबटकर जब हम थोड़ा हल्के हुए तो देखा कि नन्हा फ्रांसिस जेब से निकाल-निकालकर कुछ खा रहा है। पूछने पर उसने बताया कि एक पेड़ के पास बड़े अच्छे-अच्छे फल बिखरे पड़े हैं। सुनते ही पत्नी को गुस्सा आ गया। उसने डांटते हुए कहा, ''तुझे पूछ तो लेना चाहिए था। क्या पता, कौन-सी चीज खाने लायक है, कौन-सी नहीं !'' ठीक से देखने पर पता चला कि वे गूलर के फल थे। फिर भी हमने अपने सब बच्चों को समझा दिया कि वहां की कोई भी चीज बिना अच्छी तरह जांचे-परखे न खाएं। इनमें से कोई चीज जहरीली भी हो सकती है।
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