जीवनी/आत्मकथा >> मुझे घर ले चलो मुझे घर ले चलोतसलीमा नसरीन
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औरत की आज़ादी में धर्म और पुरुष-सत्ता सबसे बड़ी बाधा बनती है-बेहद साफ़गोई से इसके समर्थन में, बेबाक बयान
उसके बाद सिटी हॉल! स्ट्रसबुर्ग की मेयर अपने चेले-चामुंडों के साथ सीढ़ियों के पास हमारा इंतज़ार कर रही थीं। अनगिनत कैमरे! मैं अंदर जा बैठी! कुछ देर बातचीत हुई। मेयर, कैथरीन ट्रटमैन से पहले भी मेरी भेंट हो चुकी थी। मैयर ने बताया कि इंटरनेशनल पार्लियामेंट ऑफ राइटर्स ने अक्टूबर में स्ट्रसबुर्ग में एक नाटक मंचित किया। वह नाटक तसलीमा पर लिखा गया था। नाटककार थीं-हेलेन सेक्नुस! जब वह नाटक चल रहा था, जो लड़की तसलीमा की भूमिका में थी, पत्रकारों ने उसे ही असली तसलीमा मान लिया। झुंड-झुंड फोटोग्राफरों ने तस्वीरें लेनी शुरू कर दीं। गज़ब का कांड मचा था।
मेयर साहिबा मेरे साथ फन्याक। फन्याक के बाहर सड़कों पर सैकड़ों-सैकड़ों दर्शक! मुझे देखते ही लोगों की तालियों से समूचा जनपथ मुखर हो उठा। फन्याक का हॉल दर्शकों से भरा हुआ! जो लोग अंदर नहीं जा पाए, वे लोग चौखट से बाहर खड़े थे। मुझे देखते ही तुमुल हर्ष-ध्वनि गूंज उठी। मेयर ने अपने वक्तव्य में बार-बार कहा कि बेशक़, स्ट्रसबुर्ग निर्वासित लेखक-लेखिकाओं की जगह है। पुलिस हर पल दर्शकों के सामने बैरिकेड खड़ी किए रही। इस बार पुलिस-चीफ को जाने कैसे तरस आ गया। उन्होंने कहा कि जो लोग अंदर नहीं आ सके और कॉरीडोर में ही खड़े हैं, उनके साथ मैं ज़रा हाथ मिला लूँ। जाने कितने-कितने हाथ आगे बढ़ आए, किन्हीं-किन्हीं हाथों को मेरा स्पर्श मिला, किसी को नहीं। किन्हीं-किन्हीं लड़कियों की आँखों में खुशी के आँसू! पीटर पर भी पल-भर निगाह पड़ी। जर्मनी से वह यहाँ भी आ पहुंचा था। 'हलो' कहने के अलावा उससे कोई बात नहीं हुई। उसके बाद, पीटर भीड़ में गुम हो गया। बाद में मैंने सुना, जर्मनी की किसी प्रकाशन संस्था के मालिक भी आए थे, पुलिस ने उन्हें अंदर नहीं घुसने दिया। कोर प्रकाशन ने मेरी रचनाएँ छापी, एक टी-शर्ट निकाली है । लेखकों द्वारा मेरे नाम लिख गई। खली चिट्ठियाँ भी प्रकाशित की गयी थीं। यहाँ सुबह से ही दर्शक अपनी-अपनी जगह पर जमे हुए थे।
मेरी एक झलक-भर पाने के लिए हज़ारों लोगों की भीड़! भीतर भी और बाहर भी! लोग-बाग़ हाथ उठा-उठाकर 'तसलीमा-तसलीमा' नाम की गूंज-अनुगूंज भरते हुए। वे लोग एक वार, वस, एक वार मेरा स्पर्श चाहते थे। पुलिस मुझे उन लोगों के करीव जाने देने को तैयार नहीं थी, लेकिन पुलिस के अवरोध की परवाह न करते हुए में आगे बढ़ आयी। सैकड़ों हाथ मेरा हाथ छूने के लिए आगे बढ़ आए। मुझे इतने करीब देखकर, लोगों के चेहरे-आँखें खुशी से चमक उठे। ये सबके सब फ्रेंच औरत-मर्द थे। गोरी चमड़ी! बादामी या सुनहरे बाल! आँखें नीली या हरी! मुझे बस, कुछेक क्षण उन लोगों को सिर्फ छूने की आज़ादी मिली। सुरक्षा-कारण दिखाकर मुझे वहाँ से हटा लिया गया। अंदर ठसाठस भीड़! बाहर विशाल मॉनीटर सड़क की तरफ मुखातिव! नगर के मेयर ने यह कार्यक्रम आयोजित किया था। वे सभी लोग लगातार मेरे आस-पास बने रहे।
इसके बाद फन्याक संचालक के कमरे में बैठकर किताबों में दस्तख़त-पर्व शुरू हुआ! ढेरों किताबें! करीव पाँच सौ किताबों पर मैंने दस्तखत किए। किताब का पन्ना उलटकर, कोई बंदा मेरी तरफ बढाता जा रहा था। दस्तखत हो जाने के बाद कोई दूसरा व्यक्ति झट से वह किताब ले लेता था। उसकी जगह नयी किताब सामने आ जाती थी। किताबें तेज़ी से ख़त्म होती रहीं। मारी, फबियन, क्लॅद, पैट्रीशिया, कैरोलिन, एडिथ, जैकलिन, निकॅल; वेरोनिक, दोमिनिक, मॉरिस...इन सब नामों के हिज्जे लिखना, मेरे वश की बात नहीं थी। फ्रेंच शब्दों के हिज्जे, उच्चारण से योजन भर दूर होते हैं। वे नाम कोई लिख देता था! शायद क्रिश्चन या कोई और, वे नाम लिखती जा रही थी। मेरे सामने आकर, किताब पर दस्तखत कराने की अनुमति किसी को भी नहीं थी।
स्ट्रसबुर्ग फन्याक ने रेस्तराँ में दोपहर के खाने का इंतजाम किया था। मारसेई का खास पकवान! फ्रेंच देशों में आंचलिक पकवान खासे मशहर हैं। लेकिन मेरी जुबान को बंगाली खाने ही ज़्यादा भाते हैं। रेस्तराँ में खाने-पीने के बाद, प्रेस कॉन्फ्रेंस! यूरोपीय पार्लियामेंट में मानवाधिकार विभाग के प्रेसीडेंट इंतज़ार कर रहे थे। अस्तु, वहाँ भी पहुँचकर उनसे बातचीत हुई। यानी रिहाई नहीं थी। वहाँ भी छोटा-मोटा प्रेस कॉन्फ्रेंस! मैं बेहद थकान महसूस कर रही थी। वहाँ से हवाई अड्डे जाते हुए,
रास्ते मैं कैथेड्रल। अप्रैल के महीने में जव मैं स्ट्रसवुर्ग आयी थी, जिल ने कहा था, वहाँ का कैथेड्रल ज़रूर देखना। उस बार देखने का वक्त नहीं मिला। इस वार रात के वक्त कैथेड्रेल के आस-पास क्रिसमस की छोटी-छोटी दुकनियाँ सज गयी थीं! रोशनी से जगमगाता कैथेड्रल भी देखा। वहाँ लोग पहले से ही इंतज़ार कर रहे थे। उन लोगों ने मुझे कैथेड्रल के अंदर-बाहर घुमाकर सार कुछ दिखाया। मैं देखने आ रही हूँ, इसलिए असमय ही कैथेड्रल खोले रखा गया था।
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