जीवनी/आत्मकथा >> मुझे घर ले चलो मुझे घर ले चलोतसलीमा नसरीन
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औरत की आज़ादी में धर्म और पुरुष-सत्ता सबसे बड़ी बाधा बनती है-बेहद साफ़गोई से इसके समर्थन में, बेबाक बयान
ताहर बेन जेलून नामक मोरक्को का एक लेखक जॅ आलिए भी तसलीमा-विरोध में शामिल हो गया। अब यह ताहर बेन जेलून कौन है? ताहर बेन जेलून उत्तरी अफ्रीका का एक सफल उत्तर-आधुनिक लेखक है, उनकी क्या शिकायत है? मुख्य रूप से एक जैसी ही।
उन्होंने बयान दिया है- “फ्रांस जैसे देश में कोई महिला प्रधानमंत्री हो ही नहीं सकती। इसकी कोई संभावना ही नहीं है। जबकि बांग्लादेश की प्रधानमंत्री एक महिला हैं। विरोधी पक्ष की प्रधान भी एक महिला हैं। इसलिए तसलीमा पूरी दुनिया को यह कहकर बेवकूफ बना रही है कि बांग्लादेश की औरतें जुल्म की शिकार हैं।"
मुझे ऐसे लोगों की अक्ल पर ताज्जुब होता है। ये लोग बुद्धिजीवी कैसे हो सकते हैं, अगर उनका यह ख़याल है कि औरत तभी प्रधानमंत्री हो सकती है, जब समाज में औरत का समानाधिकार हो। बांग्लादेश में आखिर कितनी महिलओं को राजनीति करने का मौका मिलता है? औरतों को अगर राजनीति के प्रति जागरूक होने या राजनीति करने का मौका मिलता हो तो औरतों के लिए तीस प्रतिशत हिस्सा संरक्षित क्यों रखना पड़ता है? सच तो यह है कि बांग्लादेश में अस्सी प्रतीत औरतें लिखना-पढ़ना नहीं जानतीं और प्रजातांत्रिक समाज में औरत जो चरम विषमता का शिकार है, इस हक़ीक़त की खबर फ्रांस के शिक्षित लोगों को नहीं मिलती। मैंने एक लंबी उसाँस भरी। मुझे तो लगा था फ्रांस दुनिया के अन्य देशों से अलग है! यह शायद सपनों का राज्य है, लेकिन अब देख रही हूँ, यहाँ भी एक बांग्लादेश घात लगाए बैठा है।
टेलीविजन के कैनल पुस में कार्यक्रम! टेलीविजन का सबसे लोकप्रिय कार्यक्रम! लोकप्रिय था, इसीलिए मैंने एतराज किया था। लोकप्रिय का मतलब है सस्ता-मेरे मन में यही धारणा घर कर गयी है। मुझे कैनल पूस में ले जाने के लिए क्या-क्या कांड हुए, कितने-कितने जोड़-तोड़ हुए! एक के बाद एक पिछले कार्यक्रम लाकर
दिखाए गए। मुझे सिर्फ राज़ी करने के लिए। “सुनिए, कैनल पूस हास्यरस का कार्यक्रम है, कोई सीरियस कार्यक्रम नहीं है"-मेरी इस गलतफहमी को मिटाने के लिए कैनल पूस के बड़े अधिकारी, मेरे होटल तक आ पहुँचे। क्रिश्चन बेस ने तो मेरे क़दमों के करीव बैठकर बेहद नरम लहजे में मुझे यह समझाने की कोशिश की कि वाकई यह कोई फालतू कार्यक्रम नहीं है। वे लोग अपने कार्यक्रमों में हास्य का पुट देते हैं, मगर विषय गंभीर होता है। इसी कैनल पूस ने मंत्री पासकोवा के कार्टून प्रसारित कर, उनकी भी तीव्र निंदा की थी। ऐसे में इस बात से इंकार करने का कोई उपाय नहीं था कि यही टीवी का सबसे लोकप्रिय कार्यक्रम है। उन लोगों के घंटे-भर समझाने के बाद मैं राजी हो गयी। दो घंटे का कार्यक्रम! लाइव! मुझ पर कार्यक्रम हो रहा है, यह ख़बर पाकर सिमोन वेइल भी कार्यक्रम में चली आयीं। उन्होंने भी अपनी बात रखी। भाषा की असुविधा की वजह से मैं कभी अच्छी भूमिका पेश नहीं कर पाती। बहरहाल कैनल के लोगों ने मेरा काफी जतन किया। तरह-तरह के उपहारों से मेरा होटल का कमरा भर उठा।
एफिल से रित्ज़ में थोड़ा आराम करके मैं पमपिड् रवाना हो गयी। इसका अन्य नाम है-मॉडर्न म्यूजियम! मॉडर्न म्यूजियम में साहित्य, शिल्प, स्थापत्य के मशहूर लोगों ने मुझे सम्मान प्रदान किया। सभी लोगों ने मेरे लेखन पर चर्चा की। मैंने भी उन लोगों को बताया कि शुरू-शुरू में यहाँ आकर लिखने के मामले में मुझे किस क़िस्म की परेशानियाँ उठानी पड़ी। श्रोताओं के सवालों का भी जवाब देना पड़ा। एक सवाल बहुतेरे लोग करते हैं कि फ्रांस की मुसलमान औरतों को पर्दा करने के बारे में मेरी क्या राय है। जब मैं पर्दा के खिलाफ़ कुछ कहती हूँ तो औरतें ज़ोर-ज़ोर से तालियाँ बजाने लगती हैं।
रात क्रिश्चन के घर में पार्टी! वहाँ पार्टी काफी जोर-शोर से जम गयी और आधी रात तक अड्डेबाज़ी होती रही। क्रिश्चन बेहद अमीर औरत है! उसका घर एंटीक सामानों से भरा हुआ है। उसके घर को छोटा-मोटा म्यूजियम कहा जा सकता है। वह जो किसी प्रकाशन संस्था में नौकरी करती है, वह तो महज शौकिया!
आज पहली बार मैं देवी से इंसान बनी। मैं जिल को लेकर निकल पड़ी। ग्रोनावल से उसकी बहन, दोमिनिक और उसकी माँ भेंट करने आयी थीं। मैं उन दोनों से मिली। उन लोगों के साथ मैं अपनी उसी पुरानी जगह खुली-खुली पाइनी की तरफ पहुँच गयी, जहाँ पिछली अप्रैल में विक्टर ह्यूगो का मकान देखने गयी थी। पिछली अप्रैल को जहाँ मैंने आम इंसान की तरह खाना खाया था, इस बार उसी आम रेस्तराँ में जा बैठी लेकिन यहाँ भी ऑटोग्राफ की भीड़! भीड़ से मेरी रिहाई नहीं है। होटल लौटकर देखा, क्रिश्चन मेरी किताबें, उपहार वगैरह पैकेट बनाकर रख रही थी। हम लोग यानी मैं, जिल, क्रिश्चन, फ्रेडरिक, अनगिनत पुलिस समेत रॅसी यानी शार्ल दा गोल हवाई अड्डे की तरफ रवाना हो गए।
मेरा फ्रांस-भ्रमण समाप्त हुआ! लेकिन...।
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