बहुभागीय पुस्तकें >> राम कथा - साक्षात्कार राम कथा - साक्षात्कारनरेन्द्र कोहली
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राम कथा पर आधारित उपन्यास, चौथा सोपान
"एक बात और है।" लक्ष्मण बोले, "यदि जन-सेना का इतना बड़ा भाग पंचवटी में ही रहेगा तो इस समस्त जनपद में नये सैनिकों के प्रशिक्षण की भारी क्षति होगी; जनसामान्य के मनोबल पर भी घातक प्रभाव होगा और जन-सैनिक स्वयं को सामान्य-जन का अंग न मान, एक पृथक् वर्ग के रूप में देखने लगेंगे।"
लक्ष्मण मौन हो गए। अन्य कोई व्यक्ति नहीं बोला। राम ने दो-एक क्षण प्रतीक्षा की और बोले "इसका अर्थ यह हुआ कि सभी इस विषय में सहमत हैं कि जन-सैनिकों को अनावश्यक रूप से पंचवटी में न रोका जाए।"
"मैं भी सहमत हूं।" अगस्त्य बोले, "किंतु एक सावधानी बरतनी होगी कि हमारी सूचना-व्यवस्था तथा संपर्क-व्यवस्था अत्युत्तम श्रेणी की होनी चाहिए, ताकि राक्षसों की एक भी सैनिक टुकड़ी इस दिशा में बढ़े तो तत्काल राम को सूचना मिल जाए; और शीघ्रातिशीघ्र न केवल समस्त आश्रमों, ग्रामों तथा अन्य केन्द्रों से संबंध स्थापित किया जा सके, वरन् वहां से समय पर सैनिक यहां एकत्र भी हो सकें।"
"ऋषि ठीक कहते हैं।" जटायु बोले, "यह बहुत आवश्यक है।"
"मेरा विचार है कि सबसे पहले हम इस बात पर विचार कर लें कि रावण की सेना आने में कितना समय लगने कि संभावना है,", राम बोले, "तभी शेष योजनाओं के संबंध में निश्चित रूप से कुछ कहा जा सकता है।"
"सेना के शीघ्र आने की संभावना नहीं है।" अगस्त्य बोले, "क्यों, जटायु!"
"मेरा भी यही विचार है।" जटायु ने अपना मत दिया, "खर की जो सेना यहां पराजित हुई है, उसकी सैनिक-संख्या चौदह सहस्र थी। रावण इतना तो मान ही लेगा कि इस बीच, हम अपनी सैनिक शक्ति और बढा लेंगे। अतः "यदि वह विजय चाहता है तो खर की सेना से कम-से-कम चौगुने सैनिक लाने होंगे।"
"हां, इससे कम में उनकी विजय की संभावना नहीं हो सकती।" सुतीक्ष्ण ने कहा।
"उनकी विजय की संभावना तो है ही नहीं।" लक्ष्मण मुस्कराए, "चाहे वे कितनी ही सेना क्यों न लेकर आएं।"
"मम दोनों बातों पर विचार कर लें।" राम मुस्कराए, "हमारी दृष्टि से उनकी विजय की संभावना नहीं है। उनकी दृष्टि से विजय के लिए उन्हें कम-से-कम छप्पन सहस्र सैनिकों की आवश्यकता पड़ेगी। अब प्रश्न यह है कि छप्पन सहस्र सैनिकों को तैयार करने, उनके वस्त्र, अन्न की आपूर्ति तथा युद्ध के लिए उपयुक्त स्थिति में उनके यहां तक परिवहन में कितना समय लगेगा?"
"छह मास से कम में इतना बड़ा काम संमव नहीं है।" अनिन्द्य ने अपना मत दिया।
"नहीं ऐसी बात नहीं है।" भलर बोला, "यह चार मास में भी संभव हो सकता है।
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