विवेकानन्द साहित्य >> ध्यान तथा इसकी पद्धतियाँ ध्यान तथा इसकी पद्धतियाँस्वामी विवेकानन्द
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प्रस्तुत है पुस्तक ध्यान तथा इसकी पद्धतियाँ।
ध्यान की शक्ति
ध्यान की शक्ति हमें सब कुछ प्राप्त करा देती है। यदि तुम प्रकृति पर अधिकार चाहते हो, तो तुम ध्यान द्वारा उसे प्राप्त कर सकते हो। ध्यान- शक्ति द्वारा ही आज तमाम वैज्ञानिक तथ्यों की खोज की जाती है। वे विषय का अध्ययन करते हैं और सब कुछ भूल जाते हैं, स्वयं अपनी सुध और प्रत्येक वस्तु को भूल जाते हैं और तब वह महान् तथ्य प्रकाश की तरह कौंधता हुआ आता है। कुछ लोग सोचते है कि वह अन्तःस्फुरण है।
कोई अन्तःस्फुरण नहीं होता। ... जिसे अन्तःस्फुरण मान लिया जाता है, वह उन कारणों का परिणाम है, जो मन में पहले से ही विद्यमान रहते हैं। एक दिन परिणाम के रूप में प्रकाश कौंध जाता है! उनका पूर्व कर्म ही कारण था।
उसमें भी तुमको ध्यान- शक्ति - विचार की तीव्रता – दिखायी पड़ती है। ये लोग अपनी ही आत्मा को मथ डालते हैं। महान् सत्य सतह के ऊपर उठ आते हैं और व्यक्त हो जाते हैं। इसलिए ध्यान का अभ्यास ज्ञान की महती वैज्ञानिक पद्धति है। (४.१३४)
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