विवेकानन्द साहित्य >> ध्यान तथा इसकी पद्धतियाँ ध्यान तथा इसकी पद्धतियाँस्वामी विवेकानन्द
|
7 पाठकों को प्रिय 127 पाठक हैं |
प्रस्तुत है पुस्तक ध्यान तथा इसकी पद्धतियाँ।
समाधि का गीत
सूर्य भी नहीं है, ज्योति - सुन्दर - शशांक नहीं,
छाया-सा व्योम में यह विश्व नजर आता है।
मनोकाशा अस्फुट, भासमान विश्व वहाँ
अहंकार-स्रोत ही में तिरता डूब जाता है।
धीरे धीरे छायादल लय में समाया जब
धारा निज अहंकार मन्दगति बहाता है
बन्द वह धारा हुई, शून्य में मिला है शून्य,
'अवाङ्मनसगोचरम्' वह जाने जो ज्ञाता है।
(९.३२३)
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book