विवेकानन्द साहित्य >> ध्यान तथा इसकी पद्धतियाँ ध्यान तथा इसकी पद्धतियाँस्वामी विवेकानन्द
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प्रस्तुत है पुस्तक ध्यान तथा इसकी पद्धतियाँ।
समाधिस्थ पुरुष के लक्षण
जितात्मनः प्रशान्तस्य परमात्मा समाहितः।
शीतोष्णसुखदुःखेषु तथा मानापमानयोः।।
आत्मजयी और प्रशान्त व्यक्ति का परमात्मा शीत-उष्ण, सुख-दुःख तथा मान-अपमान आदि में समाहित (अर्थात् आत्मभाव से विद्यमान) रहता है।
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ज्ञानविज्ञानतृप्तात्मा कूटस्थो विजितेन्द्रियः।
युक्त इत्युच्यते योगी समलोष्टाश्मकाञ्चनः।।
जिसका अन्तःकरण ज्ञान और विज्ञान से तृप्त हो गया है, जो कूटस्थ (अर्थात् अविचल), जितेन्द्रिय तथा मिट्टी के ढेले, पत्थर और सोने में समबुद्धिवाला है, वह योगी युक्त (अर्थात् समाधिस्थ) कहा जाता है।
(भगवद्गीता, ६-७, ८)
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